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पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की गोली मारकर हत्या, एक दिन पहले पंजाब सरकार ने वापस ली थी सुरक्षा

पंजाब के गायक सिद्धू मूसेवाला की रविवार को गोली मारकर हत्या कर दी गई है. मूसेवाला पर मनसा के जवाहरके गांव के पास फायरिंग हुई थी. घटना के बाद मूसेवाला को गंभीर हालत में मनसा के अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया. घटना में मूसेवाला के साथ रहे दो अन्य लोग घायल बताए जा रहे हैं.

बताया जा रहा है कि मूसेवाला को गैंगस्टरों से धमकियां मिली थी. इसके बावजूद पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार ने कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए एक दिन पहले ही मूसेवाला समेत 424 VIP की सुरक्षा वापस ली थी. मूसेवाला ने पंजाब विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के विजय सिंगला के खिलाफ चुनाव भी लड़ा था.

कौन थे सिद्धू मूसेवाला

17 जून 1993 को जन्मे शुभदीप सिंह सिद्धू उर्फ ​​सिद्धू मूसेवाला मनसा जिले के मूसा वाला गांव के रहने वाले थे. मूसेवाला की लाखों में फैन फॉलोइंग है और वह अपने गैंगस्टर रैप के लिए लोकप्रिय थे. सिद्धू मूसेवाला की मां गांव की सरपंच थीं. उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की थी. उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों में म्यूजिक सीखा और बाद में कनाडा चले गए।

मूसेवाला को सबसे विवादास्पद पंजाबी गायकों में से भी जाना जाता है, जो खुलेआम बंदूक संस्कृति को बढ़ावा देते थे, उत्तेजक गीतों में गैंगस्टरों का महिमामंडन करते थे. सितंबर 2019 में रिलीज़ हुआ उनका गाना 'जट्टी जियोने मोड़ दी बंदूक वर्गी' ने 18वीं सदी के सिख योद्धा माई भागो के संदर्भ में एक विवाद को जन्म दिया था. उन पर इस सिख योद्धा की छवि को खराब दिखाने का आरोप लगाया गया था. हालांकि बाद में मूसेवाला ने माफी मांग ली थी.

मूसेवाला के एक और गाना 'संजू' ने भी जुलाई 2020 में विवाद खड़ा कर दिया था. यह गाना एके-47 फायरिंग मामले में सिद्धू मूसेवाला को जमानत मिलने के बाद रिलीज हुआ था. उन्होंने सोशल मीडिया पर रिलीज हुए गाने में अपनी तुलना अभिनेता संजय दत्त से की थी. मई 2020 में बरनाला गांव में फायरिंग करते हुए एक वीडियो क्लिप वायरल होने के बाद सिद्धू मूसेवाला के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था. हालांकि, बाद में संगरूर की एक अदालत ने उन्हें जमानत दे दी थी.


शनिवार को पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार ने मूसेवाला समेत कुल 424 VIP लोगों की सुरक्षा पर कैची चलाई थी. इस लिस्ट में डेरामुखी सहित कई सेवानिवृत्त अधिकारी भी शामिल हैं. वर्तमान और पूर्व विधायकों की सुरक्षा भी वापस ली गई है. इनमें शिअद के वरिष्ठ नेता चरण जीत सिंह ढिल्लों, बाबा लाखा सिंह, सतगुरु उधय सिंह, संत तरमिंदर सिंह भी शामिल हैं. इसके अलावा विधायकों में अकाली नेता गनीव कौर मजीठिया, कांग्रेस नेता परगत सिंह, आप विधायक मदन लाल बग्गा का सुरक्षा कवर भी वापस ले लिया गया है. बताया जा रहा है कि सरकार ने पहले एक रिव्यू मीटिंग की थी, उसके बाद इन लोगों की सुरक्षा वापस लेने का फैसला हुआ था।

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ने अपने बयान में साफ कहा है कि ये आदेश सिर्फ कुछ समय के लिए लागू किया गया है. राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त जवानों की जरूरत है, इसी वजह से रिव्यू मीटिंग के बाद 424 लोगों की सुरक्षा वापस ली गई है. अब उन जवानों को राज्य के अलग-अलग इलाकों में तैनात किया जाएगा.  

इससे पहले अप्रैल महीने में भी भगवंत सरकार ने 184 वीआइपी लोगों की सुरक्षा वापस लेने का फैसला किया था.  तब पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व मंत्री सहित कई विधायकों की सुरक्षा पर कैची चली थी. उन सभी नेताओं को पंजाब सरकार ने प्राइवेट सिक्योरिटी दे रखी थी।

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