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मुफ्त बिजली देने से बिजली बोर्ड का आर्थिक संतुलन बिगड़ा, 275 करोड़ का हुआ घाटा

हिमाचल कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश में सरकार बनने पर 300 यूनिट मुफ्त बिजली का वादा किया है। भाजपा सरकार पहले ही 125 यूनिट तक मुफ्त में बिजली प्रदान कर रही है। अगर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनती है तो 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली दी जाएगी। देखिए इस चुनावी वादे को पूरा करने में कितनी अड़चनें हैं ?

हिमाचल प्रदेश सरकार का दावा है कि जयराम ठाकुर के मुख्यमंत्री बनने के बाद सूबे में बिजली की व्यवस्था काफी बेहतर हुई है। शहरी और ग्रामीण इलाकों में 24 घंटे बिजली की आपूर्ति हो रही है। हालांकि, जबकभी भी बात बिजली दरों की होती है तो हर कोई हाथ खड़े कर देता है। यही कारण है कि इस बार चुनाव में 300 यूनिट बिजली फ्री देने का मुद्दा भी काफी हावी रहा है।

अब सवाल उठता है कि क्या ये संभव है ! कि हजारों करोड़ के कर्ज में डूबे हिमाचल प्रदेश में इस तरह के चुनावी वादे पूरे हो सकते हैं ? यह भी जानना जरूरी है कि 125 यूनिट तक मुफ्त देने से बिजली बोर्ड की क्या स्थिति हुई है ?

जानकारी के मुताबिक हिमाचल प्रदेश का बिजली बोर्ड घरेलू उपभोक्ताओं को प्रतिमाह 125 यूनिट तक निशुल्क बिजली देने से आर्थिक संकट में पड़ गया है। मुफ्त बिजली देने से बोर्ड का राजस्व घाटा 275 करोड़ पहुंच गया है।

यानी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के इस कार्यकाल में प्रदेश का विद्युत विभाग 275 करोड़ रुपये घाटे में आ गया है, लेकिन गांव व शहरों में बिजली सप्लाई व्यवस्था काफी बेहतर हो गई है। अब हिमाचल के लगभग हर गांव में बिजली कनेक्शन पहुंचाया जा चुका है।

लेकिन प्रदेश में 125 यूनिट मुफ्त बिजली देने के बाद कांग्रेस का चुनावी वादा काफी हवा-हवाई लगता है। अगर कहीं प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती है तो 300 यूनिट बिजली मुफ्त की सुविधा का अतिरिक्त आर्थिक बोझ प्रदेश बिजली बोर्ड को झेलना पड़ेगा। तब बोर्ड का जो घाटा अभी 275 करोड़ रुपये है वह 600 करोड़ से भी अधिक हो सकता है।' इसी कारण बिजली बोर्ड ने घाटे से उभरने के लिए बिजली महंगी करने का प्रस्ताव तैयार कर लिया है।

हिमाचल प्रदेश के लाखों उपभोक्ताओं केे बिजली का बिल झटका दे सकता है। बिजली बोर्ड ने अप्रैल 2023 से बिजली दरें 90 पैसे प्रति यूनिट तक महंगी करने का प्रस्ताव तैयार किया है। घरेलू उपभोक्ताओं को प्रतिमाह 125 यूनिट तक निशुल्क बिजली देने से बोर्ड का आर्थिक संतुलन गड़बड़ा गया है। इससे बोर्ड का राजस्व घाटा 275 करोड़ पहुंच गया है।

प्रदेश में बीते तीन साल से बिजली की दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। बोर्ड को सरकार की ओर से हालांकि अनुदान के तौर पर इस वर्ष 750 करोड़ रुपये दिए गए हैं, इसके बावजूद बोर्ड को अपना खर्च पूरा करना मुश्किल हो गया है। प्रतिमाह करीब 180 करोड़ रुपये वेतन और पेंशन के लिए बोर्ड को चाहिए होते हैं।


ऐसे में राज्य विद्युत नियामक आयोग में बोर्ड ने याचिका दायर कर अप्रैल 2023 से बिजली दरों में बढ़ोतरी करने की वकालत की है। हिमाचल प्रदेश के करीब 25 लाख घरेलू और अन्य श्रेणियों के उपभोक्ताओं को बिजली बोर्ड सप्लाई मुहैया करवा रहा है।


करीब 14 लाख घरेलू उपभोक्ता प्रतिमाह 125 यूनिट से कम बिजली का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में इन उपभोक्ताओं के बिल शून्य हो गए हैं। ऐसे उपभोक्ताओं से बोर्ड मीटर रेंट और अन्य सेवा शुल्क भी नहीं ले रहा है। निशुल्क बिजली की एवज में सरकार की ओर से बोर्ड को प्रतिमाह 66 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जा रही है। 31 दिसंबर 2022 तक के लिए सरकार ने इसका भुगतान कर दिया है।

मार्च 2022 में विद्युत नियामक आयोग ने वर्ष 2022-23 के लिए बिजली बोर्ड की राजस्व जरूरतों को 5, 730 करोड़ रुपये आंका था। यह राजस्व जरूरतें निशुल्क बिजली देने के बाद और बढ़ गई हैं। ऐसे में बोर्ड प्रबंधन ने घाटे को पूरा करने के लिए आयोग से वर्ष 2023-24 के दौरान 126 यूनिट से अधिक बिजली की खपत करने वाले उपभोक्ताओं और औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए दरें बढ़ाने की मांग की है।

बोर्ड की इस याचिका पर जल्द ही आयोग की ओर से जन सुनवाई की जाएगी। सरकार से भी पक्ष मांगा जाएगा। सभी पक्षों को सुनने के बाद आयोग मार्च 2023 में दरों को लेकर फैसला लेगा। एक अप्रैल 2023 से नई बिजली दरें प्रदेश में लागू होंगी।

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