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अपने ही घर में बेगानी हुई तनुजा! पढ़ाई भी छुटी, मां नहीं है सर पर तो बाप था मानसिक परेशान इसलिए रिश्तेदारों ने निकाली घर से

केपी पांजला / अश्वनी कौंडल : नगरोटा बगवां

जन्म के पहले दिन से ही अनाथ हुई तनुजा को जब पंचरुखी के ठाकुर परिवार ने गोद लिया था तो इस अबोध बच्ची ने यह सोचा भी नहीं था कि एक दिन उसे अपने ही घर में बेगाना होना पड़ेगा। पढ़ाई और खेल में होशियार तनुजा को शहीद कैप्टन विक्रम बतरा डिग्री कॉलेज पालमपुर में बीसीए की पढ़ाई भी बीच में ही छोड़नी पड़ी। बचपन में मां के साथ उसने कुछ अलग करने सपने बुने थे, लेकिन जब उसने अपने पिता भागी राम द्वारा एक दिन अखबार की प्रति में अपनी बेदखली की सूचना पढ़ी तो उसके सारे संजोय हुए सपने चकनाचूर हो गए। जब तनुजा 12 साल की हुई तो मां का हाथ भी सर से उठ गया और पिता अधरंग के मरीज हो गए। साथ ही अपना मानसिक संतुलन भी  खो बैठे। युवती का आरोप है कि मां के गुजरने और पिता के असहाय होने के बाद जब एक रिश्तेदार ने उनके घर पर कुंडली मारी तो सपने बेगाने हो गए। मामला जयसिंहपुर विधानसभा के पंचरूखी के गांव चमेहडू डाकघर सूआं का है। मामला तब ध्यान में आया जब अपने बजूद को बचाने के लिए तनूजा ने बेटियां फाउंडेशन गैर सरकारी संस्था की जनरल सेक्रेटरी बबली शर्मा को पत्र लिखकर न्याय दिलाने की फरियाद लगाई। इसके बाद संस्था के सदस्यों ने मौके पर जाकर देखने के बाद युवती द्वारा लिखा हुआ लैटर समाचार पत्र फोकस हिमाचल के ध्यानार्थ लाया।

युवती की कहानी खुद उसकी जुबानी :  कृपया मेरी सहायता करें, मुझे मेरा हक दिलाएं, मैं पढ़ना चाहती हूं।

‘‘ मैं तनुजा ठाकुर पुत्री भागी राम गांव चमेहडू पंचायत सुआं की रहने वाली हूं। मेरे पिता जी पिछले 8 साल से अधरंग के मरीज हैं। वह न तो अच्छी तरह से चल फिर सकते हैं और न बोल सकते हैं। मानसिक हालत भी ठीक नहीं है। माता जी का देहांत  4 साल पहले हो चुका है। उनके गुजरने के बाद मैं ही पिता की देखभाल करती थी। मेरे स्कूल जाने के बाद उनकी देखभाल मेरी ताई और उनकी बहू करती है। माता की मौत के बाद एक रिश्तेदार ने घर में डेरा डालना शुरू कर दिया और डरा धमकाकर पिता को कब्जे में कर लिया है। रिश्तेदार  उनके सारे पैसे निकालकर खा जाती है। मेरी उम्र 19 साल है। मैं एससीवीबी डिग्री कॉलेज पालमपुर में सेकंड इयर में बीसीए कर रही थी, मगर उसने मुझे पढ़ने से रोक दिया। वह नहीं चाहती थी कि मैं अपने पैरों पर खड़ी हो जाऊं। वह मेरी शादी मुझसे उम्र में 12 साल बड़े लड़के के साथ करवाना चाहती थीं, लेकिन मेरे मना करने पर उसने 3 जनवरी 2023 को मेरे साथ मारपीट की, उस दौरान घर में वह और  प्रधान भी मौजूद थे। इसी दिन मैंने प्रधान के पास एप्लीकेशन दी थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं की। एप्लीकेशन में मैंने बुआ द्वारा किए  अत्याचारों के बारे में लिखा था। 8 जनवरी 2023 को मुझे पुलिस चौकी पंचरूखी बुलाया गया। थाना प्रभारी द्वारा दिए फैसले के अनुसार मुझे हर महीने से 2000 से 2500 तक खर्चा घर पर और एक कमरा और कमरे की सारी सुविधाएं देने का फैसला किया। लेकिन वह भी शर्तों के अनुसार नहीं दिया। फिर से एप्लीकेशन प्रधान को दी फिर भी खर्चा नहीं मिला। जब पिता को फोन किया था, तब वह ठीक से बात नहीं कर पा रहे थे। मुझे लगा उनकी हालत ठीक नहीं थी। यह सारी बातें मैंने प्रधान को बताई और प्रधान ने  रिश्तेदार को फोन कर खर्चे के लिए पूछा तो उन्होंने मना कर दिया और पिता से बात नहीं करवाई, जबकि मैं खर्चा अपने पिता से ही लेना चाहती हंू। पिता जल शक्ति विभाग से रिटायर हैं।  प्रधान ने मेरी ऐप्लीकेशन पर बिना कुछ फैसला किए पुलिस चौकी पंचरूखी को भेज दिया। थाना प्रभारी ने मेरी एप्लीकेशन को सीविल कोर्ट में  भेज दिया। मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि न तो मेरे पास आय का साधन है। मैं जिससे भी मदद लेती हूं  उसको बुराभला बोलती है और न ही मैं अपना केस लड़ सकती हूं। कृपया मेरी सहायता करें।  मुझे मेरा हक दिलाया जाए व मुझे और मेरे पिता को उसके चंगुल से आजाद करवाया जाए। मैं पढ़ना चाहती हूं।,,


लड़की के साथ गलत होता है तो पुलिस एक्शन लेगी : थाना प्रभारी

पंचरुखी के थाना प्रभारी सुभाष शास्त्री से मामले को लेकर जाना गया तो उन्होंने भी माना कि लड़की के साथ गलत हो रहा है। लड़की के पिता ने भी पुलिस को शिकायत दी थी कि वह उससे परेशान हैं। लड़की ने भी  शिकायत पत्र भेजा है। अगर लड़की के साथ कोई गलत व्यवहार होता है तो पुलिस तुरंत एक्शन लेगी।  

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ को सार्थक करूंगी : बबली शर्मा

बेटियां फाउंडेशन एनजीओ की जनरल सेक्रेटरी बबली शर्मा व संस्था के अन्य पदाधिकारियों ने बताया कि वे प्रदेश में किसी भी बच्चे पर हो रहे अत्याचारों को सहन नहीं करेंगे। हर हाल में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ को सार्थक करती रहूंगी। बच्ची पढ़ाई के साथ खेल में भी होशियार है। उसके सपनों को एक कमरे में कैद नहीं होने देंगे। दुख होता है कि प्रशासन के कई बड़े अधिकारी बड़े मंच पर बेटियों के अधिकारों पर बात करते हैं लेकिन जब निभाने की नौबत आती है तो बेटियों को ही दोषी ठहराया जाता है। बबली शर्मा का कहना है कि ऐसी असहाय बेटियों की मदद करना ही संस्था का मुख्य ध्येय है। ऐसी बेसहारा बच्चियों पर जब जब अत्याचार होगा, तब तब उन बच्चियों की मदद के लिए उनका एनजीओ ढालबन कर खड़ा रहेगा।

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