हिमाचल CAG रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, पिछली सरकार में हुए कई घपले, ठेकेदारों को सांठगांठ से हुए टेंडर; पक्की सड़क को कच्चा बताया

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हिमाचल प्रदेश में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान वित्तीय गड़बड़ियां हुई हैं। NPS कर्मचारियों का शेयर केंद्र को पूरा जमा नहीं किया गया। जल शक्ति विभाग, PWD और एक्साइज डिपार्टमेंट के अफसरों की लापरवाही से सरकार को करोड़ों का चूना लगा। यह खुलासे भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में किए गए।

कैग रिपोर्ट के अनुसार, PWD ने टेंडर आवंटन ठेकेदारों की सांठगांठ से किए। इससे ठेकेदारों को 38 लाख का अनुचित लाभ दिया गया। चंबा के ट्राइबल एरिया भरमौर में एक पक्की सड़क को कच्चा बताया गया। इससे सरकार को 55 लाख रुपए का नुकसान हुआ। ऐसा ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने वाली कंपनी को फायदा देने के लिए किया गया।

रिपोर्ट में बताया गया कि भरमौर में ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने के लिए 5 किलोमीटर पक्की सड़क को कच्चा दर्शाया गया। पक्की सड़क के लिए 1, 121 रुपए प्रति किलोमीटर और कच्ची सड़क के किनारे खुदाई के लिए 238 रुपए रेट निर्धारित है। इससे कम वसूली हो पाई।

ठेकेदार को काम होने से पहले ही पेमेंट

शिमला के सैंज-चौपाल-नेरवा सड़क के 10 किलोमीटर के हिस्से को चौड़ा करने के लिए विभाग ने ठेकेदार को 86 फीसदी राशि का भुगतान काम पूरा होने से पहले ही किया। ऐसा करके ठेकेदार को अनुचित लाभ दिया गया।

जल शक्ति विभाग में भी गड़बड़ियां

जल शक्ति विभाग की कार्यप्रणाली पर भी कैग ने सवाल खड़े किए हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि वर्ष 2016 से 2021 तक 2618.28 करोड़ की 1717 पेयजल योजनाओं को टेक्निकल फिजिबिलिटी देखे बगैर मंजूरी दी गई। पेयजल में क्लोरीन की मात्रा जांचने को 16.85 लाख से खरीदे गए 976 क्लोरो-स्कोप का इस्तेमाल ही नहीं किया गया।

कैग ने इन सब मामलों में PWD और जल शक्ति विभाग के अफसरों के खिलाफ जांच की सिफारिश की है। सरकार को फिजूलखर्ची रोकने के लिए बोला गया है, जिस तरह सरकार पर कर्ज बढ़ रहा है, उससे हिमाचल आने वाले समय में बड़े आर्थिक संकट में दिख रहा।

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