नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश में तंबाकू नियंत्रण संबंधी कानूनों को अधिक मजबूती देने की दिशा में राष्ट्रीय संस्था नाडा इंडिया फाउंडेशन एवम हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) के सहयोग से एक दिवसीय राज्य कनसल्टेशन कार्यशाला का आयोजन करने जा रही है। विश्वविद्यालय के विधि विभाग law department के तत्वाधन में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में प्रदेश के कई लोग शामिल होंगे।
कार्यकम का आयोजन नाडा इंडिया फाउंडेशन एवम हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के विधि विभाग के संयुक्त तत्वावधान में हो रहा है। नाडा इंडिया के राष्ट्रीय संयोजक एवम तंबाकू उन्मूलन के दिशा में देश में कर्मवीर पुरस्कार से नवाजे जा चुके सुनील वात्सायन ने बताया कि इस कार्यक्रम में प्रदेश भर से तंबाकू नियंत्रण में जुटे स्वयंसेवी संगठनों के साथ साथ सरकार के प्रतिनिधि भी जुड़ेंगे । कार्यक्रम में हिमाचल में तंबाकू सेवन के विकराल रूप के संदर्भ में गहन चिंतन मनन किया जाएगा। वात्सायन जी ने बताया कि इसमें एचपीयू के प्रो वाईस चांसलर राजिंद्र वर्मा के साथ एचपीयू में लॉ डिपार्टमेंट के डीन व प्रमुख डॉ संजय सिंधु, प्रदेश के नॉन कम्युनिकेबल रोगों के राज्य नोडल अधिकारी डॉ गोपाल चौहान, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता व जाने माने कानूनी सलाहकार रंजीत सिंह, आईजीएमसी शिमला में पब्लिक हेल्थ डेंटिस्ट्री के विभागाध्यक्ष डॉ विनय कुमार भारद्वाज, कैंपेन फॉर टोबेको फ्री किड्स भारत के लीड कंसल्टेंट नरेन्द्र कुमार, भिवानी स्थित चौधरी बंसीलाल विश्व विद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ मूलराज सहित अन्य विशेषज्ञ कार्यक्रम में भाग लेकर अपने संबंधित विषय पर महत्वपूर्ण सुझाव रखेंगे। हिमाचल में तंबाकू नियंत्रण अभियान को मजबूती प्रदान करने की दिशा में यह महत्वपूर्ण आयोजन होने जा रहा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हिमाचल प्रदेश में कराए गए 2013 सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में तम्बाकू सेवन कर प्रतिशत 16.1 है। जबकि धुम्रपान की व्यापकता 14.2 प्रतिशत है। धुम्रपान रहित तम्बाकू की व्यापकता देश में हालांकि 3.1 प्रतिशत के साथ सबसे कम है। वैश्विक वयस्क तम्बाकू सेवन द्वितीय सर्वे में पहले सर्वे की तुलना में आंकड़ों में तब्दीली आई है। सेकेंड हैंड धुएं के संपर्क से इस समय राज्य में 32.5 प्रतिशत लोग घरों में प्रभावित हैं। जबकि सार्वजनिक स्थानों पर 12 प्रतिशत है।
भारत में दुनिया में तंबाकू खपत की दूसरी सबसे बड़ी संख्या है।
हिमाचल एन वाई एन राज्य समन्वयक मंगल सिंह ने बताया कि कोटपा अधिनियम की जानकारी आमजन में पहले से बेहतर तो है किंतु स्वास्थ्य को लेकर सचेत होने के लिए अभी ज़मीनी स्तर पर बहुत किया जाना शेष है। राज्य स्तर का यह आयोजन निश्चीत नए दिशा देगा।
स्वास्थ किसी भी देश की बड़ी पूंजी होती है। युवा शक्ति पूंजी होती है। नाडा यंग इंडिया युवाओं के महत्व को पहचानता है। नाडा यंग इंडिया स्वास्थ को राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाने का आह्वान करता है। आज तंबाकू एवम उससे जुड़े उत्पाद आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं । हालात को बदलने के लिए सरकारों एवम समाजसेवी संस्थानों को आगे आना होगा। इस दिशा में यह कार्यशाला एक सराहनीय कदम साबित होगी ऐसी पूरी उम्मीद है।