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आइए जानते हैं प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला की लाइब्रेरी के स्ट्रक्चर का इतिहास....

Rupansh Rana (Shimla)

आज आपको बताएंगे एक ऐसे पुस्तकालय की कहानी जिसमें पढ़कर हजारों छात्रों ने अपना भविष्य निखारा है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला में जब आप पहुंचते हैं तो एक ऐसा भवन जिसका स्ट्रक्चर देखकर आपको लगेगा कि आख़िर ये किस शैली पर आधारित है तो आइए आपको बताते हैं।

छह मंजिला केंद्रीय पुस्तकालय विश्वविद्यालय के केंद्र में जवाहर भवन में स्थित है।  इसकी सुंदर और प्रभावशाली वास्तुकला का छात्रों पर सकारात्मक और शानदार प्रभाव पड़ता है। इसमें 2,36,987 पुस्तकों और 122 पत्रिकाओं का संग्रह है, जिनमें से 73 राष्ट्रीय पत्रिकाएँ, 18 अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाएँ और 31 समाचार पत्र और पत्रिकाएँ हैं। पुस्तकालय छात्रों, विद्वानों और कर्मचारियों को कई ई-संसाधनों तक पहुंच भी प्रदान करता है। पुस्तकालय प्रत्येक पाठक के लिए एक पुस्तक और प्रत्येक पुस्तक के लिए एक पाठक की उक्ति को पूरा करता है। पुस्तकालय में लगभग 1000 छात्र रह सकते हैं और यह 24x7 खुला रहता है। विकलांग छात्रों के लिए टॉकिंग सॉफ्टवेयर उपलब्ध है। लाइब्रेरी को नवीनतम तकनीक से लैस करने के लिए डिजिटलीकरण और स्वचालन का काम चल रहा है ताकि छात्र ऑनलाइन किताबें ढूंढ सकें और पढ़ सकें। पुस्तकालय में अनुसंधान विद्वानों के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक थीसिस और शोध प्रबंध प्रयोगशाला भी है

दरअसल इस लाइब्रेरी का स्ट्रक्चर भारत द्वारा भेजे गए उपग्रह आर्यभट्ट जैसा है। 

उपग्रह आर्यभट्ट क्या है ?

आर्यभट्ट उपग्रह प्रसिद्ध भारतीय खगोलज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया है, यह भारत का प्रथम उपग्रह था जिसे पूर्ण रुप से भारत में अभिकल्पित एवं संविरचित किया गया। इसे 19 अप्रैल, 1975 को कापुस्टिन यार से सोवियत कॉसमॉस-3एम रॉकेट द्वारा प्रमोचित किया गया। आर्यभट्ट अंतरिक्षयान को दो रुपए के भारतीय नोट पर 1976 से 1997 तक स्मृति के रूप मे छापा गया था।

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