रोहित कुमार (शिमला)
हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के खस्ताहालत हो गए हैं। एक तरफ सुक्खू सरकार व्यवस्था परिवर्तन का दम भर रही है तो दूसरों ओर सरकार गिरने के साथ IGMC की व्यवस्थाएं गिरती जा रही हैं। अस्पताल में नीफ्रोलॉजी के विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं। रोगियों को अस्पताल की प्रबंधन कमेटी से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेकर बाहरी राज्यों में किडनी ट्रांसप्लांट करवाना पड़ रहे हैं। निजी अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट पर लाखों रुपए खर्च होते हैं।
अस्पताल में पिछले दिनों किडनी दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया, लेकिन रोगियों की परेशानी के समाधान पर कोई चर्चा नहीं हुई। बाहरी राज्यों के रुख करने के कारण किडनी रोगियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज एवं अस्पताल में नेफ्रोलॉजी विशेषज्ञ चिकित्सक न होने से किडनी ट्रांसप्लांट नहीं हो रहे है। अस्पताल में साल 2019 में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू हुई थी। अगस्त 2021 तक पांच सफल किडनी ट्रांसप्लांट किए गए, लेकिन अब अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सक न होने से विभाग चलाना भी मुश्किल हो गया है। हर साल शिमला के अलावा प्रदेश के अन्य जिलों से आए औसतन 100 के करीब मरीज कमेटी से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेकर पीजीआई या अन्य बड़े अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट करवाने जाते हैैं। इसमें मरीजों के लाखों रुपये खर्च हो रहे हैं। सरकार और प्रबंधन इस समस्या का समाधान नहीं कर पाया है।
आपको बता दें कि हिम कियर कार्ड या अन्य पर मिलने वाली बहुत सी दवाइयां एवं संसाधन बाहर से मरीजों को खरीदने पड़ रहे हैं। बहुत से मरीजों के कार्ड भी एक्टिवेट नहीं हो रहे हैं उन्हें ये कहकर वापिस भेज दिया जा रहा है कि आपके इलाज में जरूरी चीजें मौजूद नहीं है। गरीब जनता को मजबूरन बाहर से चीजें लानी पड़ रही हैं।