देश व विदेशों में अपनी शहनाई की मधुर धुनों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करने वाले सूरजमणी की शहनाई खामोश हो गई है। जिला मंडी के चच्योट निवासी हिमाचल के बिस्मीला खां के नाम से मशहूर शहनाई वादक सूरजमणी ने एम्स अस्पताल बिलासपुर में बीती रात 2 बजकर 20 मिनट पर अंतिम सांस ली। शहनाई वादक के देहांत से उनके चाहने वालों को बड़ा झटका लगा है। बताया जा रहा है कि बीते मंगलवार के दिन सुप्रसिद्ध शहनाई वादक सूरजमणी चंडीगढ़ के एक समारोह में प्रस्तुति देने के बाद वापस घर लौट रहे थे। बस से उतरने के बाद मंडी बस स्टैंड पर उनको सुबह अटैक पड़ा। किसी भले मानस ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया है। वह 4 दिनों तक जिला के एक निजी अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहे थे। उनके स्वास्थ्य में कोई सुधार न होने पर डाॅक्टरों ने उन्हें एम्स अस्पताल बिलासपुर को रैफर कर दिया था। उपचार के दौरान देर रात वैंटीलेटर पर ही उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए।
9 वर्ष की आयु में शुरू किया था शहनाई बजाना
बता दें कि 63 वर्षीय वर्षीय सूरजमणी ने मात्र 9 वर्ष की आयु में शहनाई बजाना शुरू कर दिया था। शहनाई वादन की कला उन्होंने अपने ताया से सीखी। आज प्रदेश का शायद ही कोई कोना ऐसा होगा, जहां सूजरमणी की शहनाई की धुन न गूंजी हो। प्रदेश में जितने भी बड़े महोत्सव होते हैं वहां सूरजमणी को विशेष तौर पर शहनाई वादन के लिए बुलाया जाता था। उनकी शहनाई के बाद ही उस महोत्सव के आगामी कार्य शुरू होते आए थे। सूरजमणी अब तक हिमाचल प्रदेश के साढ़े 4 हजार से भी अधिक पहाड़ी गानों में शहनाई वादन कर चुके हैं। यहां तक की फिल्म अभिनेता सन्नी देयोल भी सूरजमणी की शहनाई के कायल हैं। सूरजमणी ने शहनाई वादन के दम पर अपना नाम तो कमा लिया लेकिन उन्हें अपनी इस विरासत को सहेजने वाला कोई नहीं मिला। सूरजमणी का कहना था कि अब इस काम में मान-सम्मान घटता जा रहा है, जिसके कारण युवा इस ओर नहीं आ रहे हैं। बता दें कि 63 वर्षीय वर्षीय सूरजमणी ने मात्र 9 वर्ष की आयु में शहनाई बजाना शुरू कर दिया था। शहनाई वादन की कला उन्होंने अपने ताया से सीखी। आज प्रदेश का शायद ही कोई कोना ऐसा होगा, जहां सूजरमणी की शहनाई की धुन न गूंजी हो। प्रदेश में जितने भी बड़े महोत्सव होते हैं वहां सूरजमणी को विशेष तौर पर शहनाई वादन के लिए बुलाया जाता था। उनकी शहनाई के बाद ही उस महोत्सव के आगामी कार्य शुरू होते आए थे। सूरजमणी अब तक हिमाचल प्रदेश के साढ़े 4 हजार से भी अधिक पहाड़ी गानों में शहनाई वादन कर चुके हैं। यहां तक की फिल्म अभिनेता सन्नी देयोल भी सूरजमणी की शहनाई के कायल हैं। सूरजमणी ने शहनाई वादन के दम पर अपना नाम तो कमा लिया लेकिन उन्हें अपनी इस विरासत को सहेजने वाला कोई नहीं मिला। सूरजमणी का कहना था कि अब इस काम में मान-सम्मान घटता जा रहा है, जिसके कारण युवा इस ओर नहीं आ रहे हैं।