जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता नारायण गिरि आगे बोले कि अखाड़े में अनुशासन सर्वोपरि है और जो गुरु के प्रति सम्मान नहीं रखता, वो सनातन धर्म के प्रति भी सम्मान नहीं रख सकता।
इस घटनाक्रम पर अभय सिंह ने भी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने सोशल मीडिया पर इसे लेकर कहा कि उन्होंने अखाड़ा तब छोड़ा, जब इसके सदस्यों ने उन्हें वहां रहने से मना कर दिया. अभय सिंह ने कहा कि उनकी प्लानिंग अखाड़े में चार-पांच दिन रुकने और इसके कामकाज को देखने की थी. लेकिन प्रसिद्धि मिलने के बाद 'सब कुछ ग़लत' हो गया. वहीं, जब उनसे उनके निष्कासन के बारे में पूछा गया, तो अभय सिंह ने इस पर भी जवाब दिया.
उन्होंने कहा, ‘जब अखाड़े ने मुझे आने से मना कर दिया, तो मैं वहां से चला गया. आख़िरकार, ये उनकी संपत्ति है.’ जब उनसे पूछा गया कि उनका गुरु कौन है, तो अभय सिंह बोले, ‘मैं जिससे भी मिलता हूं, उससे सीखता हूं. यहां तक कि अखाड़े में भी भगवान शिव ने ही मुझे ध्यान करना सिखाया.’
अभय सिंह सोशल मीडिया पर तब वायरल हो गए, जब उन्होंने मीडिया संस्थान न्यूज़-18 के साथ बातचीत में IIT-बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियर होने का दावा किया. एक सफल इंजीनियरिंग करियर से लेकर आध्यात्म तक के सफर पर उनकी बातों को सोशल मीडिया में ख़ूब सराहा गया।
अभय सिंह हरियाणा के एक जाट परिवार में जन्मे हैं. IIT-बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की और कुछ समय के लिए कनाडा में एक एयरप्लेन मैन्युफैक्चरिंग कंपनी में काम किया. जहां उन्होंने कथित तौर पर 3 लाख रुपये प्रति माह कमाए. वहीं, डिजाइन में मास्टर डिग्री हासिल की। ये भी बताया जाता है कि कनाडा में कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान सिंह की आध्यात्मिकता में रुचि और गहरी हो गई। उन्होंने भारत लौटने का फैसला किया, जहां उन्होंने एक घुमक्कड़ जीवनशैली अपनाई और उज्जैन और हरिद्वार जैसे आध्यात्मिक केंद्रों में गए. हालांकि, उनके परिवार ने शुरू में उनका साथ दिया. लेकिन बाद में उनके आध्यात्मिक झुकाव को लेकर चिंता होने लगी। इंडिया टुडे के इनपुट के मुताबिक़, परिवार वालों ने उनके मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल उठाए और कई मौकों पर पुलिस से भी संपर्क किया. IITan बाबा अभय सिंह ने आख़िरकार छह महीने पहले अपने परिवार से नाता तोड़कर घर छोड़ दिया।