भारत ने 6 मई को "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) और पंजाब प्रांत में नौ स्थानों पर सटीक मिसाइल हमले किए। यह कार्रवाई 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकवादी हमले के जवाब में की गई है, जिसमें 26 भारतीय नागरिकों की जान गई थी।
हमले का उद्देश्य: आतंकवाद के ढांचे पर सीधा प्रहार
भारतीय रक्षा मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि ये हमले पूरी तरह से आतंकवादी ठिकानों पर केंद्रित थे। मंत्रालय के अनुसार, इस ऑपरेशन में पाकिस्तान की सीमा के भीतर स्थित जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों के ठिकानों को निशाना बनाया गया। इन हमलों में 17 आतंकवादी मारे गए और 60 से अधिक घायल हुए हैं। रक्षा प्रवक्ता ने यह स्पष्ट किया कि किसी पाकिस्तानी सैन्य अड्डे को लक्ष्य नहीं बनाया गया।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: 'युद्ध का कार्य'
पाकिस्तान सरकार ने भारत की इस कार्रवाई को "युद्ध का कार्य" करार देते हुए कहा कि इसमें उनके तीन नागरिक, जिनमें एक बच्चा भी शामिल है, मारे गए और 12 घायल हुए हैं। पाकिस्तानी सेना ने दावा किया कि उसने दो भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराया है, हालांकि भारत ने इसकी पुष्टि नहीं की है।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने आपातकालीन कैबिनेट बैठक बुलाकर जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है, और देश के पंजाब प्रांत में आपातकाल की घोषणा कर दी गई है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं: शांति की अपील
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय गंभीर चिंता जता रहा है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दोनों देशों से संयम बरतने और संवाद के माध्यम से समाधान निकालने की अपील की है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट करते हुए कहा, “यह समय संयम का है, ना कि युद्ध का।”
ब्रिटेन, रूस और चीन ने भी स्थिति पर नज़र रखते हुए कूटनीतिक समाधान की वकालत की है। यूरोपीय संघ ने चेतावनी दी है कि दक्षिण एशिया में परमाणु शक्तियों के बीच टकराव वैश्विक स्थिरता को खतरे में डाल सकता है।
स्थिति की गंभीरता और आगे की राह
भारत ने कहा है कि यह कार्रवाई एक सीमित और मापा हुआ जवाब है, जो सिर्फ आतंकवादी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाता है। वहीं पाकिस्तान की आक्रामक प्रतिक्रिया और सेना की चेतावनी ने क्षेत्र में और अधिक अस्थिरता का संकेत दिया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर दोनों देशों ने कूटनीति का रास्ता नहीं अपनाया, तो यह टकराव एक बड़े युद्ध का रूप ले सकता है। फिलहाल वैश्विक समुदाय की नज़रें नई दिल्ली और इस्लामाबाद के अगले कदम पर टिकी हुई हैं।