हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा विश्वविद्यालय की लापरवाही और टालमटोल नीति पर कड़ा रुख अपनाते हुए एक छात्र, आदित्य चंदर सिंह, का एलएलबी में दाख़िला हुआ है।इस पूरे मामले में छात्र की तरफ से हाई कोर्ट में अनुभवी अधिवक्ता विश्व भूषण ने मजबूती के साथ पैरवी की, जो लंबे समय से विश्वविद्यालय में छात्रों के अधिकारों के लिए सक्रिय रूप से न्यायालय में लड़ते रहे हैं।
क्या था मामला
- योग्यता पर विवाद: छात्र आदित्य चंदर सिंह ने यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्ट लंदन (यूके) से ‘बैचलर ऑफ म्यूजिक इन म्यूजिक परफॉर्मेंस एंड रिकॉर्डिंग’ डिग्री ली थी और एलएलबी में प्रवेश के लिए आवेदन किया था। विश्वविद्यालय ने इस डिग्री को भारतीय स्नातक के समकक्ष (equivalent) मानने से इनकार कर दिया, जिससे दाखिला रोक दिया गया।
- UGC मान्यता: अदालत में अधिवक्ता विश्व भूषण ने यह तर्क रखा कि UGC ने उक्त विदेशी डिग्री को भारत के नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क (एनसीआरएफ)-लेवल 5.5 के बराबर मान्य किया है, फिर भी विश्वविद्यालय ने बेवजह बाधा उत्पन्न की।
- प्रवेश में देरी: विश्वविद्यालय की equivalence committee के फैसले में विलंब से छात्र का समय खराब हुआ और उसका भविष्य अधर में लटक गया।
- कोर्ट की फटकार और आदेश: अदालत ने विश्वविद्यालय को फटकार लगाते हुए तुरंत equivalence committee की रिपोर्ट मांग ली और स्पष्ट किया कि और समय नहीं दिया जाएगा।
फैसले के असर
कोर्ट के हस्तक्षेप और अधिवक्ता विश्व भूषण के प्रयास के चलते आखिर विश्वविद्यालय को छात्र को बिना किसी शर्त दाख़िला देना पड़ा। कोर्ट ने भी अपने आदेश में विश्वविद्यालय पर नाराज़गी जताई और कहा कि ऐसी हीलाहवाली से छात्रों का भविष्य खतरे में डालना अनुचित है।
"अधिवक्ता विश्व भूषण द्वारा छात्रों के अधिकारों की जिस तरह तसल्लीबख़्श पैरवी की गई, उसने न केवल छात्र को न्याय दिलाया, बल्कि विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यशैली पर भी कठोर सवाल खड़े कर दिए।"
यह फैसला छात्रों को अपने हक़ के लिए आवाज बुलंद करने की प्रेरणा देता है, साथ ही, विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए यह बड़ा सबक है कि मनमानी और देरी नहीं चलेगी। हाई कोर्ट ने यह स्थापित कर दिया है कि छात्रों से जुड़े मामलों में पारदर्शिता और न्याय सबसे ऊपर है।