कांगड़ा! पौंग बांध विस्थापितों के हकों की लड़ाई का किसान नेता राकेश सिंघा ने उठाया बीड़ा, 21 नवम्बर को फतेहपुर विधानसभा में होगी जनसभा

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पौंग बांध विस्थापन की मार झेलती तीन पीढ़ियों और उनके हकों के लिए अब CPIM के ठियोग से पूर्व विधायक तथा किसान नेता राकेश सिंघा ने अब बीड़ा उठाया है। पौंग बांध विस्थापितों की समस्याओं के स्थाई समाधान को लेकर 21 नवंबर को पूर्व विधायक ठियोग व किसान सभा के महासचिव राकेश सिंघा राजा का तालाब स्थित जट्ट पैलेस में एक जनसभा को संबोधित करते हुए राजस्थान सरकार के खिलाफ शंखनाद करेंगे। इस विषय में जानकारी देते हुए साहित्यकार पंकज दर्शी ने बताया कि आर–पार की लड़ाई में पूर्व विधायक राकेश सिंघा की अध्यक्षता में राजा का तालाब में होने वाली 21 नवंबर की बैठक में मुख्य मुद्दा पौंग बांध विस्थापितों की समस्या का स्थाई समाधान करवाना रहेगा। जबकि पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने दूरभाष वार्ता के माध्यम से बताया कि 55 वर्षों से राजस्थान सरकार के उत्पीड़न का शिकार पौंग बांध विस्थापितों के हितों के प्रति सरकारें कभी भी सजग नहीं रही हैं। राजस्थान सरकार के पक्षपात पूर्ण रवैए, हिमाचल सरकार का न साथ देंगे, न छोड़ेंगे वाला रवैया और केंद्र सरकार की अनदेखी अब बर्दाश्त से बाहर होने लगी है। पौंग बांध विस्थापितों की तीसरी पीढ़ी अधेड़ावस्था में पहुंच चुकी है। परन्तु 55 वर्षों से उन्हें न्याय की अभी भी तलाश है।इन्हीं सभी बातों को मद्देनजर रखते हुए कि अब राजस्थान में जमीन नहीं अपितु एक मुश्त मुआवजा देने के लिए सरकारें आगे आएं।यह विषय विशेष रूप से चिंतनीय रहेगा।उन्होंने कहा कि विभिन्न न्यायालयों के फैसलों के बाद भी पौंग बांध विस्थापितों की समस्या का हल न होना एक गंभीर मुद्दा है इसलिए सामूहिक प्रयास के लिए अब सभी को आगे आना बेहद आवश्यक हो गया है।

आपको बता दें राकेश सिंघा एक मात्र विधायक हैं जो सड़क से सदन तक किसानों मजदूरों के हकों के लिए आंदोलनों की अगुवाई करते आये हैं तथा एकमात्र विधायक जिन्होंने जब MLA थे तो सदन में विधायकों की सैलरी बढ़ने का विरोध किया था। 

पौंग बांध विस्थापितों के हकों की लड़ाई उतनी ही पुरानी है जितना पौंग बांध का इतिहास। पौंग डैम बनने से कांगड़ा जिला के विभिन्न उपमंडलों में 20722 परिवार प्रभावित हुए थे। इनमें से 16,352 को जमीन मुहैया करवाने की प्रक्रिया आरंभ की गई थी और राजस्थान में 8609 प्रभावित परिवारों को खेती योग्य जमीन उपलब्ध करवाई जा चुकी है। 7743 प्रभावित परिवारों को जमीन मुहैया करवाने के मामले अभी तक लंबित हैं। जिन परिवारों को उस समय जमीनें मिली भी थी वो बंजर थी तथा खेती योग्य नहीं थी। कई किसानों को जमीन मिलने के बाद भी राजस्थान के भूमाफिया द्वारा भगाया गया था। आजतक जिन्हें जमीने मिल भी रहीं है वह तय नियमों के हिसाब से न मिलकर बंजर, बिना पानी के तथा पाकिस्तान बॉर्डर पर दी जा रही हैं जो खेती योग्य नहीं हैं।

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