हरियाणा के यमुनानगर के एक एडेड स्कूल में 9वीं कक्षा की छात्राओं द्वारा बीयर पीकर 12वीं की छात्राओं से मारपीट करने का मामला सामने आया है। यह घटना सिर्फ स्कूल अनुशासन का सवाल नहीं, बल्कि कम उम्र में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति और अभिभावकों की जिम्मेदारी पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।
जानकारी के अनुसार, 11वीं कक्षा का एक छात्र बीयर की बोतल स्कूल बैग में छुपाकर लेकर आया और उसे कोल्ड ड्रिंक की बोतल में मिलाकर कुछ छात्राओं के साथ मिलकर पी गया। नशे का असर बढ़ने पर 9वीं की छात्राएं 12वीं की छात्राओं से भिड़ गईं और बात हाथापाई तक पहुंच गई। घटना के बाद स्कूल में हंगामा मच गया और मामला शिक्षा विभाग तक पहुंच गया।
शुरुआत में स्कूल प्रबंधन ने इस तरह की किसी घटना से इंकार किया, लेकिन विभाग की ओर से टीम भेजकर जांच करवाई गई। जांच के दौरान कई छात्रों के बैग से गुटका, जर्दा, सुरती और कूल लिप जैसे नशे से जुड़े पाउच भी बरामद हुए, जिससे स्पष्ट हुआ कि स्कूल परिसर में बच्चों के बीच नशे से जुड़ी वस्तुएं लगातार पहुंच रही थीं। इस पूरे प्रकरण के बाद स्कूल प्रशासन से परिसर में कड़ी निगरानी रखने और छात्रों के बैग की नियमित जांच करने के निर्देश दिए गए।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने स्कूल प्रशासन को फटकार लगाने के साथ-साथ अभिभावकों को भी तलब किया और सभी अभिभावकों को अपने बच्चों की गतिविधियों पर विशेष निगरानी रखने की सलाह दी। परिजनों में भी इस घटना को लेकर चिंता देखी गई और कई अभिभावकों ने माना कि मोबाइल, बाहर के गलत संगत और बिना जांचे-परखे बच्चों को दी जाने वाली आजादी, ऐसे मामलों की पृष्ठभूमि तैयार करती है।
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि स्कूली उम्र के बच्चों में नशे की बढ़ती संस्कृति को रोकने के लिए घर, स्कूल और समाज की संयुक्त जिम्मेदारी कैसे तय होगी। विशेषज्ञ लगातार चेतावनी देते रहे हैं कि बच्चों के बैग, जेब और सोशल सर्कल पर अभिभावकों की नियमित नजर बेहद जरूरी है, वरना ऐसे मामले भविष्य में और ज्यादा खतरनाक रूप ले सकते हैं।
