कल शाम जब मैं हवाई जहाज़ की सबसे आगे की सीट पर बैठा था तो मेरी नज़र यूँही एयर होस्टेस पर चली गयी जो लोगों का बड़े सम्मानजनक तरीक़े से welcome कर रही थी “Sir, welcome………Good evening……. Mem welcome ...........” इसके उत्तर में कोई नमस्कार कर रहा रहा था कोई तो कोई सिर्फ़ अपने होंठ चौड़े करके अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहा था तो कोई बिल्कुल ध्यान ही नहीं दे रहा था कोई कोई तो मुँह और बिगाड़ रहा था कि इसने बोल क्यों दिया, कोई दूसरी बार पूछ रहा था कि क्या कहा और जब वो दुबारा उसी अन्दाज़ में बोलती तो फिर वो वैसा ही मुँह पिचका लेता…… इन सबके बाबजूद ना तो उस बहन के बोलने में कोई कमी आयी और ना ही उसे किसी के किसी भी reaction का फ़र्क़ पड़ा, वो फिर अगले यात्री से उसी गर्मजोशी से स्वागत करने लगती, मैंने सोचा आख़िर वो ऐसा कैसे कर सकती है, क्या उसे इस व्यवहार का कोई फ़र्क़ ही नहीं पड़ रहा है ?
सच तो ये है कि उसे अपना purpose पता है अपना काम पता है बस अपना काम है कि लोगों को मुस्कुरा कर welcome करना है और उसे अपने काम में ये भी पता कि उसे किसी के कोई reaction देने पर ध्यान ही नहीं देना है, अपने action की कोई expectation नहीं करना है। उसे बिल्कुल ये स्पष्ट है कि उसे salary मुस्कुराकर अच्छा और मीठा बोलने की मिलती है किसी के reactions को देखने की और उस पर react करने की नहीं मिलती है।
वो बिल्कुल भी न तो परेशान थी और ना ही दुखी। हम अपने हर action की अपने अनुरूप expectation करते है बस यही परेशानी है, और हमें ये भी स्पष्ट नहीं होता है कि हमारे action का purpose क्या है ?
लोग तो लोग हैं तुम कैसे उम्मीद कर सकते हो कि तुम जैसा चाहते हो सब बिलकुल वैसा ही response देंगे। तूम बस लोगो के response से अप्रभावित रह कर अपना action डालते रहो लोगों को अपना अपना response अपने अपने अनुसार देने दो। तुम्हें कोई दुखी और परेशान कर ही नहीं सकता।
मैंने ये flite में ही ये लिख कर उस Air hosted को पढ़ा भी दिया… वो बस मुस्कुरा दी और इतना ही कहा Sir, Very nice. इस action का भी उसका वही बिल्कुल सधा हुआ reaction था जबकि मैं वही - अपने action पर अपनी इच्छा के अनुरूप उसके reaction का इंतज़ार करने लगा था 😊