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आखिर क्यों हो रही हैं हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला में धांधली पर धांधली, लाखों करोड़ो रूपये का हो रहा धंधा

Rupansh Rana:

यूं तो HPU शिमला का नाम आते ही शिक्षा के स्तर की बात होती है और बड़े बड़े इंस्टिट्यूटस की पंक्ति में हम HPU को देखते थे परंतु अब धीरे धीरे HPU शिमला एक ऐसी स्थिति में है कि जब भी नाम आता है तो ऐसा हो नही सकता है कि कोई फ़्रॉड जुड़ा न हो। फिर चाहे बात पीएचडी एडमिशन स्कैम की हो या एमकॉम स्कैम की हो, फिर अन्य किसी स्कैम की जिसको छात्र संगठन हमेशा उठाते आए हैं। हमेशा से हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय विवादों में ही रहा है और अब तो विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठने शुरू हो गए हैं तथा रैंकिंग पूरे भारतवर्ष में सबसे निचले पायदान पर पहुंच गई है।

अगर रिक्रूटमेंट की बात करें तो हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय पिछले दो-तीन सालों से भर्तियां करवा रहा है जिसमें शिक्षकों, गैर शिक्षकों तथा पंचायत सचिव की भर्ती शामिल है बात करें शिक्षक भर्ती की तो चाहे वह विश्वविद्यालय में प्रोफेसर भर्ती मामला हो या फिर पीजीटी टीजीटी भर्ती मामला हो हमेशा से विवादों में रहा है। पिछले दिनों खबर आई कि पीजीटी तथा टीजीटी की जो रिक्रूटमेंट हुई है उसमें बहुत से छात्रों को परीक्षा देने के लिए एडमिट कार्ड जनरेट नहीं हुए तथा कई लोगों को तो यह तक भी पता नहीं चला कि हमारी परीक्षा कब है? और जब परीक्षा करवाई गई तो उस समय शिमला में बर्फबारी हुई थी बहुत से अभ्यर्थी वर्फ़ में भी फंसे रहे और परीक्षा देने नहीं पहुंच सके। उस परीक्षा में भी एक बात सामने आई कि परीक्षा होने के बाद उस परीक्षा की आंसर की भी हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला द्वारा जारी नहीं की गई और बिना आंसर की जारी किए ही अभ्यर्थी दस्तावेज मूल्यांकन के लिए बुला लिए हालांकि इस भर्ती का रिजल्ट भी घोषित नही किया।  इस पर भी छात्र संगठनों ने आपत्ति जताई थी और छात्र संगठनों ने आरोप लगाए थे कि इन रिक्रूटमेंट में बड़े घोटाले की बू आ रही है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला एक ऐसी टेस्टिंग एजेंसी बन चुकी है जो रिक्रूटमेंट के लिए आवेदन लेती है और दो दो साल बाद परीक्षा करवाती है फिर उस परीक्षा की आंसर की जारी किए बिना ही डॉक्यूमेंटेशन के लिए अभ्यर्थियों को बुला लेती है हालांकि अमूमन टेस्टिंग एजेंसी परीक्षा लेती हैं और उसके तुरंत दो-चार दिन के अंदर आंसर की जारी कर देती हैं और उसके बाद रिजल्ट घोषित हो जाता है जिसमें अभ्यर्थियों को उनके नंबर पता चल जाते हैं और उसी आधार पर अभ्यर्थियों को डॉक्यूमेंटेशन के लिए बुलाया जाता है परन्तु HPU शिमला प्रशासन ऐसा बिल्कुल नही करता है।

अब बात करें पंचायत सचिव भर्ती की


इस भर्ती के लिए 2 साल पहले आवेदन लिए गए थे उसके बाद हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला ने 1 साल तक परीक्षा नहीं करवाई। लोगों के विरोध के चलते 1 साल बाद परीक्षा हुई परंतु उस पंचायत सचिव परीक्षा की भी आंसर की जारी नहीं की गई और अब तक 1 साल हो गया है उस पंचायत सचिव की परीक्षा का रिजल्ट भी घोषित नहीं किया गया दूसरी और छात्र संगठनों के आरोप हैं कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का प्रशासन अपने लोगों को बैक डोर के माध्यम से रिक्रूट करने का काम कर रहा है क्योंकि भर्ती के बाद आंसर की जारी ना करना और रिजल्ट घोषित ना करना यह कहीं ना कहीं दर्शाता है। 

जब भी किसी प्रतियोगी परीक्षा का आयोजन होता या करवाया जाता है तो परीक्षा को कंडक्ट कराने वाली एजेंसी का नैतिक कार्य बनता है कि वो आंसर की जारी करे। क्योंकि बिना answer key जारी किये कोई भी अभ्यर्थी अपनी दावे व आपत्तियां जमा नही करवा सकता। हमीरपुर बोर्ड, लोक सेवा आयोग य कोई भी राष्ट्रीय स्तर की टेस्टिंग एजेंसी हर परीक्षा की आंसर की जारी करके अभ्यर्थियों को दावे व आपत्तियां जमा करने का अवसर देती है, जिससे पारदर्शिता बढ़ती है, लेकिन इसके विपरीत HPU ने आंसर की जारी नही की जिसके आधार पर दावे आपत्ति जमा होनी थी जिससे साफ संकेत है कि बड़ी धांधली को कहीं न कहीं अंजाम दिया जा रहा है ऐसा छात्र संगठनों का कहना कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय किसी बड़े फ्रॉड को अंजाम दे रहा है छात्र संगठन एसएफआई ने आरोप लगाते हुए कहा है कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का वाइस चांसलर प्रोफेसर सिकंदर कुमार सरकार का पिट्ठू बना हुआ है और सरकार के इशारे पर काम कर रहा है इसी के चलते कहीं ना कहीं बड़ी धांधली की आशंका छात्र संगठनों ने जताई है।

लाखों करोड़ों रुपये का हो रहा धंधा

HPU प्रशासन की रिक्रूटमेंट मामले में फीस की बात करें तो C क्लास भर्ती के लिए 1200 रुपये फीस रखी है और वहीं क्लास B या A के लिए 2 हजार से 2500 तक फीस भी HPU लेता है दूसरी और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं की बात करें तो UPSC के लिए भी इतनी फीस नही होती है जितनी HPU लेता है इसके बाबजूद भी रिजल्ट समय से नही निकाला जाता।

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