"पुष्पा नाम सुनके फ्लॉवर समझें क्या, फायर है मैं" फ़ोटो खिंचवाते मानो ऐसा कह रहे हों कृपाल परमार

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पिछले दिनों सत्ता के सेमीफाइनल में सियासत की पिच पर कृपाल परमार को आउट होते दिखा क्योंकि उपचुनाव में फतेहपुर से टिकट न मिलना अपने आप में बहुत बड़ा सवाल बनकर उभरा। पिछले कई साल फतेहपुर में काम करने के बाद टिकट बलदेव ठाकुर को मिलना कृपाल परमार के लिए सियासत की पिच पर आउट करने जैसा था हालाकिं सियासत के माहिर कृपाल की ज्वाला पर पानी डालने के लिए कृपाल परमार को उड़नखटोले में शिमला ले गए और शिमला की शीत से ज्वाला को ठंडा किया गया और उसके बाद कृपाल शांत भी हो गए हालांकि बलदेव ठाकुर चुनाव लड़े और हारे भी, उधर कृपाल परमार के कुछ समर्थक भाजपा के बलदेव ठाकुर के साथ हो लिए और कुछ कृपाल परमार की चुप्पी के साथ चुप भी हुए। राजनीतिक माहिरों ने ये कहा कि अब कृपाल परमार का करियर खत्म है और अब राजनीति में वह कभी नही आएंगे परन्तु इन सभी धारणाओं को कृपाल ने तब धाराशाही कर दिया जब सोशल मीडिया पर उनकी एक फोटो वायरल हुई जिसमें वह रेहन के समीप पुल का निरीक्षण करते दिखे।

और फ़ोटो में मानो ये कह रहे हों कि "पुष्पा  नाम सुनके फ्लावर समझे थे क्या, फायर है मैं" ये डायलॉग दरअसल पुष्पा मूवी का है ये वही मूवी है जिसमें अल्लू अर्जुन अपने दुश्मनों को कहते हैं कि पुष्पा नाम सुनके फूल समझे थे पर मैं फायर हूँ।

और यही डायलॉग मानो कृपाल अपने प्रतिद्वंदियों को मार रहे हों कि बेशक मैं उपचुनाव से दूर था टिकट नही मिली और इसलिए ये सब देखकर मुझे हल्के में ले लिया परंतु मैं फायर हूँ और ये कहते हुए मानो वो ये संदेश दे रहे हों कि मैं दोबारा आ गया हूँ और अभी मैंने हार नही मानी है और कहीं न कहीं ये संदेश भी दे रहे हों कि 2022 के सत्ता के फाइनल में मैं भी भागीदारी निभाउंगा और जो विधायक बनने में ख्बाब देख रहे हैं उनके लिए चुनोती है।

आपको बता दें कि एक तरह उपचुनाव में हारे बलदेव ठाकुर ने भी जमीन नही छोड़ी है और लगातार लोगों के बीच हैं लेकिन अब परमार भी दोबारा सक्रिय हो गए हैं और इसी के साथ फतेहपुर का मण्डल फिर कमण्डल बन गया है।

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