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कांगड़ा में ग्रीष्मोत्सव और कांगड़ी गायकों के साथ बेरुखी , ये कैसा न्याय! आखिर क्या चाहता है प्रशासन

वैसे न,आज के दौर में शर्म की उम्मीद करना वक़्त की बर्बादी के अलावा कुछ नहीं है। अब आप खुद सोचिए हिमाचल में सांगीतिक कार्यक्रम हो रहें हों औऱ हिमाचल के ही मशहूर गायकों को उसमें बुलाया न जाए जिन्होंने पूरे देश तथा विश्व स्तर पर हिमाचल को बुलंदियों पर पहुंचाया हो तो ये किस प्रकार का न्याय है।

पिछले दिनों मेलों तथा त्योहारों के कार्यक्रमों में हिमाचली गायकों को नजरअंदाज करने के मामले ने तूल पकड़ा और हवाला दिया गया कि पंजाबी गायकों को तब्बजो देकर हिमाचली गायकों को खुड्डा लाइन किया जा रहा है और मामला जोरों शोरो से उठा लेकिन अब ऐसा फिर से एक मामला सामने आया है जिसने आग की तरह जोर पकड़ा है।

मामला है सबसे बड़े जिले कांगड़ा के प्रशासन का वो प्रशासन जो ग्रीष्मोत्सव 2022 मनाने जा रहा है लेकिन इस बात को लेकर सबकी खनक रही है कि कांगड़ा के मुख्यालय धर्मशाला में जिला स्तरीय कार्यक्रम और कांगडा के ही प्रसिद्ध गायकों की नजरअंदाजी आखिर क्यों? सवाल वही आ रहा है कि क्यों बेरुखी से पेश आ रहा है प्रशासन?

कांगड़ा का एक ऐसा नाम अनुज शर्मा जो इंडियन आइडल टू में रनर अप का खिताब अपने नाम कर चुके हैं और देश तथा विदेश में कांगड़ा का लोहा मनवा चुके हैं उसी अनुज शर्मा को अपने गृह जिला कांगड़ा में ही कार्यक्रम में बुलाया नहीं गया वह नाम जो देश तथा विदेश में अपने शो करता है और हिमाचल में कहीं भी कार्यक्रम हो तो अनुज शर्मा को बुलाया जाता है फिर चाहे मंडी हो कुल्लू हो लाहौल स्पीति हो या शिमला हो लेकिन कांगड़ा में महोत्सव हो रहा है और कांगड़ा के धुरंधरों को ही बुलाया ना जाए तो यह कहां तक का न्याय है? 

लोक गायन के सरताज करनैल राणा जिन्होंने हिमाचल की संस्कृति को जिंदा रखा लेकिन अनदेखी की हद यह हो गई है कि सरकार उन्हें एक मंच पर स्वर लहरियां बिखेरने के लिए 15 हजार रुपए देती है पर कांगड़ा के कार्यक्रम में प्रशासन न्योता तक नही देता है बस आटा तब खत्म होता है जब राणा जैसे कलाकार की बारी आती है।

उधर संजीव दीक्षित जैसे कलाकार जो बॉलीबुड में भी लोहा मनवा चुके हैं उन्हें न्योता तक नही दिया गया या यूं कह ले कि उन्हें मंच का मौका नही दिया जा रहा है यह छोटा सा किस्सा उस लम्बी कहानी का हिस्सा है जिसमें आज प्रदेश भर के लोक गायक,कलाकार किनारे पर बैठ कर पड़ोसी राज्यों के कलाकारों पर बरसती हुईं नेमतें देखते नजर आते हैं। हाल ही में जसवां परागपुर के कालेश्वर महादेव मेले में रंगारंग और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में एक शाम लोकगायक करनैल राणा के नाम भी लिखी गई। बाकि शामों में गुरदास मान, कुलविंदर बिल्ला जैसे गायक थे। जब पेमेंट की बारी आई राणा जी को कहा गया कि जनाब आपके बैंक एकाउंट में धन आ जाएगा। पर जब धन खाते में आया तो राणा जी का मञ उदास हो गया। मात्र पन्द्रह हजार रुपए की कीमत लोक गीत संस्कृति की डाली गई थी।

खैर,राणा साहब को गम पन्द्रह हजार रुपयों का भी नहीं था गम यह था कि पंजाबी गायकों का शुकराना-नजराना लाखों रुपयों में रहा। गम जायज भी है। खबर यह है कि मान साहब को कुल मिलाकर 15 से 18 लाख रुपए की अदायगी हुई। इससे थोड़ा कम भुगतान मगर लाखों में ही कुलविंदर बिल्ला को हुआ है। जबकि अफसरशाही ऐसी चुप्पी साध कर साधु बनी हुई है कि न तो यह मान रही है कि राणा को पन्द्रह हजार रूपए दिए गए हैं और न ही इस सवाल का जवाब दे रही है कि पंजाबी गायकों को कितनी पेमेंट हुई है। जिस तरह से लोकगायको के साथ भद्दा मजाक किया जा रहा है और उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए।

खबर तो ये भी है कि आलाअधिकारी अपने चेहतों और अप्रोच वाले गायकों को ही मेलों में बुलाते हैं खैर मामला कांगड़ा का है और कांगड़ा बहुत से गायक ऐसे हैं जो इस कार्यक्रम में बुलाये तक नही गए जिसमें अनुज शर्मा, करनैल राणा, संजीब दीक्षित, मोहित चौहान तथा वर्षा कटोच समेत कई कलाकार शामिल हैं।

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