HPU में SFI द्वारा मांगी 13 हजार पन्नो की RTI से निकला प्रोफेसर भर्ती का सबसे बड़ा घोटाला, SFI जल्द करेगी प्रेस कॉन्फ्रेंस तथा जाएगी कोर्ट

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हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला में जो प्रोफेसर भर्ती हुई थी उसमें SFI बहुत बड़े घोटाले को लेकर कोर्ट जाएगी। पिछले साल प्रदेश के सबसे बड़े विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला में असिस्टेंट प्रोफेसर तथा एसोसिएट प्रोफेसर के पदों के लिए भर्ती हुई जिसमें 100% साक्षात्कार के माध्यम से अध्यापन के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर तथा एसोसिएट प्रोफेसर रिक्रूट किए गए।  इस पर SFI छात्र संगठन ने सवाल खड़े किए थे तथा विश्वविद्यालय में बहुत धरने प्रदर्शन भी हुए थे जिसमें उन्होंने बहुत बड़े पैमाने पर घोटाला होने की बात कही थी तथा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति तथा रिक्रूटिंग बॉडी पर घोटाले के आरोप लगाए थे। इसी के साथ SFI ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय प्रशासन से RTI के तहत जानकारी मांगी परंतु विश्वविद्यालय प्रशासन ने जब आरटीआई देने से मना कर दिया था तब एसएफआई हिमाचल प्रदेश राज्य अध्यक्ष रमन थारटा ने सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया था और उसी दौरान सूचना आयोग ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय प्रशासन को आदेश जारी करते हुए सूचना उपलब्ध करवाने के लिए आदेश दिए। पिछले दिनों खबरें चली कि एसएफआई की RTI 13000 पन्नों की है तथा यह भी अंदेशा लगाया जा रहा था कि इस आरटीआई में कुछ बड़ा घोटाला सामने आ सकता है और एसएफआई बड़े जोरों शोरों से इस मुद्दे को काफी लंबे समय से उठा रही थी कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला में जो प्रोफेसर भर्ती हुई है उसमें बहुत बड़े स्तर पर धांधली हुई है लेकिन गोपनीय सूत्रों से पता चला है कि 13 हजार पन्नो की जो सूचना आई है उसमें बहुत बड़ा घोटाला पकड़ा है जिसमें यह भी सामने आया है कई अभ्यर्थियों के रिसर्च पेपर जाली पाए गए हैं तथा कुछ लोगों की पीएचडी एलिजिबिलिटी पर सवालिया निशान हैं कई अभ्यर्थियों ने अपने एक्सपीरियंस जो लगाए हैं वह फर्जी हैं हालांकि SFI से संपर्क करना चाहा तो एसएफआई ने कहा है कि आगामी दिनों में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इस बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया जाएगा तथा हाई कोर्ट में याचिका दायर की जाएगी और सीबीआई जांच की मांग की जाएगी। आपको बता दें कि मिली आरटीआई के अनुसार बहुत से प्रोफेसर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में जो रिक्रूट हुए हैं बाहर जा सकते हैं तथा कहीं ना कहीं विश्वविद्यालय की रेपुटेशन पर भी सवालिया निशान खड़ा हो सकता है।

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