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शिमला में गरीबों के लिए बनाने थे 224 आवास, 10 साल में बने 64 आवास

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के 224 गरीब परिवारों को पक्के आवास की सुविधा देने की योजना सरकार की अनदेखी से पूरी तरह लागू नहीं हो पाई। बीते दस साल में इस योजना में काम के नाम पर सिर्फ 64 आवास बन पाए। अब हालत यह है कि केंद्र ने भी योजना के बजट पर कट लगा दिया है। अब राजधानी में 224 की जगह सिर्फ 104 आवास ही बन पाएंगे। केंद्र सरकार 33 करोड़ की जगह सिर्फ दस करोड़ रुपये ही देगी। राजीव आवास योजना में शिमला शहर में रह रहे गरीब गरीब परिवारों के लिए पक्के आवास बनाए जाने थे। पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान साल 2012-13 में इसके लिए शहर में सर्वे किया गया।सर्वे में 224 परिवारों का चयन किया गया जिनके पास न तो अपनी जमीन थी और न ही पक्का घर। नगर निगम ने डीपीआर तैयार कर केंद्र सरकार को भेजी। इस पर करीब 33 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी गई। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में इन आवासों के लिए कृष्णानगर में जगह चिन्हित की गई। लेकिन योजना को सिरे चढ़ाने में सरकार ने ज्यादा गंभीरता नहीं दिखाई। इससे काम देरी से शुरू हुआ और निर्माण की रफ्तार भी बेहद सुस्त रही। साल 2017 तक जो आवास बनकर तैयार होने थे, वे 2022 में भी अधूरे हैं। अभी सिर्फ 64 आवास तैयार हो पाए हैं। निगम ने इनका आवंटन कर दिया है। बाकी 40 का निर्माण चल रहा है। ये कब पूरा होगा, इसका कोई पता नहीं है।

सर्वे में बचे बाकी 120 परिवारों को कहां और कब आवास मिलेंगे, इसकी नगर निगम के पास न कोई योजना है और न ही बजट है। स्मार्ट सिटी मिशन में भी गरीब परिवारों के लिए शुरुआती चरण में आवास बनाने की योजना थी। लेकिन बाद में यह भी सिरे नहीं चढ़ी।

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