हिमाचल प्रदेश में 110 फर्जी कंपनियां हजारों कर्मचारियों को आउटसोर्स पर भर्ती कर वर्षों से सरकार से करोड़ों रुपये का कमीशन वसूल रही है। विधानसभा चुनाव से पहले आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए सरकार नीति बनाने लगी तो इस फर्जीवाड़े का खुलासा हो गया। सरकार को 125 में से सिर्फ 15 कंपनियों का ही रिकॉर्ड मिला है। अब इस पूरे मामले पर सरकार ने जांच बैठा दी है।
प्रदेश में सरकारी विभागों, निगमों, बोडों और विश्वविद्यालयों में 27,633 आउटसोर्स कर्मचारी पिछले कई वर्षों से सेवाएं दे रहे हैं। सरकार ने साफ किया है कि इनमें से किसी भी कर्मचारी की नौकरी नहीं जाएगी। इनके लिए नया निगम बनाया जाएगा। सरकार का मानना है कि फर्जी कंपनियां बिना सांठगांठ के नहीं पनप सकती हैं। ये कंपनियां कई साल से कमीशन ले रही हैं। इनके संचालक कौन हैं। यह जांच पहलेपास भी पहुंच चुका है। अब इन कंपनियों की जगह आउटसोर्स कर्मचारियों को नया निगम बनाकर उसके अधीन लाने का फैसला लिया गया है। उल्लेखनीय है कि आउटसोर्स कर्मचारियों को हर माह वेतन का ऑनलाइन भुगतान करने की व्यवस्था की गई है। सभी विभागों से पहले संबंधित कंपनी के स पर खाते में राशि डाली जाती है। इसके बाद कंपनी अपना कमीशन काटकर आउटसोर्स कर्मचारियों को वेतन का भुगतान करती हैं।