देशभर में जहां बीजेपी का डंका बज रहा है तो वहीं हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा की विधानसभा फतेहपुर में भाजपा का कोई नामोनिशान ही नहीं दिखाई दे रहा है ! बीते तीन चुनावों में जहां पर भाजपा को मुह की खानी पड़ी और आगे भी भाजपा औंधे मुंह ही गिरती दिखाई दे रही है ! गौरतलब है जहां पर चुनाव लड़ने के लिए दर्जनों नेता लाइन में खड़े थे लेकिन भाजपा हाईकमान ने सभी को किनारे करते हुए उन्हें नाराजगी दी जिसके बाद वे भीतरगात करते रहे ! बीते चुनावों में जब भाजपा के शीर्ष नेता कृपाल परमार जहां से चुनाव लड़े तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके लिए प्रचार करने के लिए रैहन के खेल मैदान में आए उसके बावजूद भी कृपाल परमार मात्र 1244 वोटों से हार गये जो कि भीतरघात का परिणाम था उसके बाद परमार फिर से लोगों के बीच में गए और जनता में अच्छी खासी पहचान बनाते हुए लोगो के दिलो में जगह बनाई लेकिन दूसरी बार टिकट नही मिली और भाजपा की फतेहपुर में बात ना बनी ! उधर बलदेव ठाकुर भी भाजपा की तरफ से 2 बार किस्मत आजमा चुके हैं लेकिन उनका भी कोई सिक्का ना चला ! इस बार भाजपा ने एक नया दांब खेलते हुए पूर्व भाजपा सरकार में रहे वन मंत्री राकेश पठानिया को फतेहपुर से चुनाव मैदान में उतारा लेकिन वह भी हार कर घर में बैठ गए ! फतेहपुर में भाजपा के जितने भी कायकर्ता है उनका आपस में छत्तीस का आंकडा साफ जगजाहिर है अगर ऎसा ही रहा तो भविष्य में भी फतेहपुर में भाजपा कमल नहीं खिला सकती ! गौरतलब है कि भाजपा के प्रदेश के उपाध्यक्ष कृपाल परमार जोकि फतेहपुर से लगती सीमा नूरपुर विधानसभा से संबंध रखते हैं लेकिन वो भी अपने ही नेताओ की गन्दी राजनीति का शिकार होकर बोल्ड हो गये । अभी तक फतेहपुर भाजपा में इतना ज्यादा भितरघात है कि आने वाले समय में अगर भाजपा की ओर से किसी सेलिब्रिटी को भी फतेहपुर से मैदान में उतारा जाए तो वह भी असफल होकर घर वापसी करेगा ! मौजूदा समय में अब तो फतेहपुर में भाजपा मंडल भी न के बराबर ही रह गया है और ना ही चुनाबों के बाद कार्यकर्ता लोगों को भाजपा की नीतियों से अवगत करवाते दिखाई दे रहे है और ना ही कोई कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर काम करता नजर नहीं आता ! 2024 के चुनाव आने वाले हैं ऐसे में अगर फतेहपुर का यही हाल रहा तो यह कहना गलत नही होगा कि फतेहपुर से भाजपा को कुछ भी हाथ नहीं लगेगा ! सूत्रो की माने तो फतेहपुर से भाजपेयी सरकार या संगठन में ऊंचे पदो पर थे या जिनको भाजपा ने कोई ना कोई दायित्व सौंपा था भाजपा के पुर्व प्रत्याशी ने हाईकमान को अपनी नाकामियो से हुई हार का जिम्मेदार उन्हे वता कर पार्टी से साइडलाइन कर चुप बैठा दिया है या तो कहें की उनके हाथ बांध दिए है और चाह कर भी वो लोग पार्टी का काम नही कर पा रहे हैं।