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पौंग झील की खूबसूरती को चार- चांद लगा रहे मेहमान परिंदे, सर्दियों में परिंदों की पसंदीदा स्थली बना पौंग जलाशय

मौसम के बदलते मिजाज़ के साथ प्रकृति के विभिन्न रंगों में सराबोर रहने वाला पौंग बांध जलाशय, जिसे महाराणा प्रताप सागर के नाम से भी जाना जाता है, के इर्द-गिर्द सुबह से शाम तक पानी के अंदर और बाहर विदेशी मेहमान परिंदों की दिल को छू लेने वाली अठखेलियां जहां पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करती हैं वहीं पौंग झील की खूबसूरती को भी चार -चांद लगा रही हैं।इनमें से अधिकांश पक्षी ट्रांस- हिमालयी क्षेत्र के तिब्बत, मध्य एशिया, रूस और साइबेरिया के अपने प्रजनन स्थलों से पलायन करते हैं। पिछले कुछ वर्षों में, पौंग बांध झील भी एक रामसर स्थल है, जो प्रवासी पक्षियों की कई प्रजातियों के लिए सर्दियों की एक पसंदीदा स्थली बन गया है।

डीएफओ वन्य प्राणी विंग हमीरपुर रेगिनॉल्ड रॉयस्टॉन ने बताया कि 30 तथा 31 जनवरी को वन्य प्राणी विंग, वन विभाग के कर्मियों के साथ-साथ वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, दि बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी सहित राज्य जैव प्रौद्योगिकी बोर्ड तथा पक्षी प्रेमियों के सहयोग से करवाई गई गणना के अनुसार इस वर्ष 108 प्रजातियों के एक लाख सत्रह हज़ार बाईस मेहमान परिंदों ने अब तक दस्तक दी है। जबकि आने वाले दिनों में पक्षियों की आबादी और प्रजातियों की संख्या उनके प्रजनन स्थलों में वापसी के दौरान बढ़ने की उम्मीद है क्योंकि अब उत्तर- पश्चिम मध्य और दक्षिण भारत से पक्षियों का पौंग झील में आगमन शुरू हो जाएगा।

उनका कहना है कि पौंग झील में आने वाले परिंदों की हर वर्ष गणना की जाती है लेकिन यह प्रसन्नता का विषय है कि पिछले वर्ष 110309 पक्षियों की तुलना में इस वर्ष 6713 की वृद्धि दर्ज की गई है। इस वर्ष सबसे अधिक वृद्धि उत्तरी पिंटेल की दर्ज की गई है जो पिछले वर्ष के 4665 के आंकड़े से बढ़कर इस वर्ष 15784 हो गई है। इसके अतिरिक्त बार हेडेड गीज़ की गणना में भी वृद्धि दर्ज हुई है जो पिछले वर्ष की संख्या से 2665 अधिक है।

डीएफओ ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष पहली बार सुगनाड़ा क्षेत्र में बोटिंग पॉइंट के पास लम्बी पूंछ वाली बतख पाई गई है। यह बतख अधिकतर अमेरिकन महाद्वीप में पाई जाती है। इससे पहले भारत में कश्मीर घाटी में ही इस प्रजाति की एक बतख पाई गई है। इस वर्ष अन्य प्रमुख प्रजातियों में यूरेशियन कूट (13035), उत्तरी पिंटेल (15784), कॉमन टील (6478) हैं। कॉमन पोचर्ड (8096), यूरेशियन कबूतर (1674), लिटिल कॉर्मोरेंट (6565), नॉर्दर्न शोवेलर (1518) और ग्रेट कॉर्मोरेंट (2768) झील में रिपोर्ट की गई जबकि अन्य असामान्य प्रजातियों में लेसर व्हाइट, फ्रंटेड गूज, रेड क्रेस्टेड पोचर्ड, फेरुगिनस पोचर्ड, पाइड एवोकेट, नॉर्दर्न लैपविंग, कॉमन केस्ट्रेल आदि पाई गई। मतगणना अभ्यास के दौरान एक रिंग्ड बार- हेडेड गूज भी देखा गया।कृषि मंत्री चंद्र कुमार का कहना है कि पौंग झील में पर्यटन की अपार सम्भावनाएं हैं तथा इस क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से विकसित कर विश्व के पर्यटन मानचित्र पर लाने के लिये हर संभव प्रयास किये जायेंगे । जिससे स्थानीय लोगों विशेषकर वेरोजगार युवाओं को रोज़गार व स्वरोजगार के बेहतर अवसर सुनिश्चित हो सकें।

उपायुक्त डॉ निपुण जिंदल ने बताया कि मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सूक्खु के दिशानिर्देशानुसार इस क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए इको टूरिज्म सहित अन्य रोजगारोन्मुखी गतिविधियों को विकसित करने की संभावनाओं पर विशेष कार्य किया जाएगा।

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