बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले (Scholarship Scam ) मैं प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए राज्य शिक्षा विभाग के अधिकारियों, बैंकों और मालिकों पर कार्रवाई की है। ईडी की जांच में पता चला है कि निजी विश्वविद्यालयों और संस्थानों से संबंधित संस्थाएं जो इसमें शामिल थीं, छात्रवृत्ति राशि के वितरण में बड़े पैमाने पर हेराफेरी हुई है।
बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने 29 अगस्त से हिमाचल प्रदेश सहित पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में 24 स्थानों पर धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के प्रावधानों में तलाशी अभियान चलाया था। जिसमे ईडी ने 75 लाख रुपये की राशि जब्त की करने के साथ बैंक खातों में पड़ी 2.55 करोड़ रुपये की राशि भी फ्रीज की है। इसके अलावा कई दस्तावेज और डिजिटल उपकरण भी जब्त किए गए हैं। इस मामले में अभी आगे और भी कई अहम खुलासे हो सकते हैं। ईडी ने बुधवार को कहा कि राज्य में एससी, एसटी और ओबीसी विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने में कथित घोटाले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के मंगलवार को हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली में 24 स्थानों पर छापामारी की गई है। जिसके तहत हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग और निजी विश्वविद्यालयों के अधिकारियों और अन्य के परिसरों की तलाशी ली गई।
उल्लेखनीय है कि ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने Scholarship Scam (छात्रवृत्ति घोटाला) में सीबीआई की ओर से दर्ज एफआईआर में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की है। सीबीआई को 250 करोड़ से अधिक के स्कॉलरशिप घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े साक्ष्य मिले थे।
अधिकारियों के मुताबिक, इस मामले में भारतीय दंड सहिता के तहत आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, जालसाजी के लिए और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत बैंकों, संस्थानों व अन्य संस्थानों के अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
प्राथमिकी का हिस्सा बनी मंत्रालय की शिकायत में कहा गया है, छात्रवृत्ति योजनाओं के तहत धन के गबन पर प्राप्त अलग-अलग रिपोर्ट पर विचार करते हुए मंत्रालय ने छात्रवृत्ति योजनाओं के मूल्यांकन के लिए नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च को तीसरे पक्ष के रूप में नियुक्त किया है। इसके अलावा मंत्रालय ने सदिग्ध संस्थानों/ आवे पर प्रश्नचिह्न लगाते हुए राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल के माध्यम से भी मूल्यांकन किया है। प्राथमिकी के मुताबिक, एनएसपी पर सदेह के घेरे में आए कुल 1,572 संस्थानों की मूल्यांकन के लिए पहचान की गई थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्राथमिकी में कहा गया कि 21 राज्यों के 1,572 संस्थानों में से 830 संस्थान या तो चल नहीं रहे था या पूर्णरूपेण फर्जी थे या फिर आंशिक रूप से फर्जी पाए गए हैं। प्राथमिकी के मुताबिक, इस तरह के संस्थानों की सबसे ज्यादा संख्या असम (225), कर्नाटक (162), उत्तर प्रदेश (154) और राजस्थान (99) में थी । इस घोटाले में छात्रवृत्ति योजना के तहत सैंकड़ों फर्जी संस्थानों ने लाभ उठाया, जिसके परिणामस्वरूप 2017-22 के दौरान अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को लगभग 144 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ