विनोद जसवाल, शिमला
भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के नेशनल टोबैको कंट्रोल प्रोग्राम में उत्कृष्ट प्रदर्शन राज्य से पुरस्कृत हिमाचल प्रदेश में तंबाकू नियंत्रण संबंधी कानूनों को सख्ती से मजबूती प्रदान करने की दिशा नाडा इंडिया फाउंडेशन और हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी (एचपीयू) में एक दिवसीय ‘स्टेट कनसल्टेशन टू स्ट्रेंथन टोबैको कंट्रोल लॉज इन हिमाचल प्रदेश’ नामक कार्यशाला का आयोजन किया गया। लॉ डिपार्टमेंट के सभागार में आयोजित इस कार्यशाला में संबंधित कार्यक्षेत्र में प्रयासरत एनजीओज, प्रदेश सरकार के प्रतिनिधियों और एक्सपर्ट्स ने भाग लेकर तंबाकू नियंत्रण में पेश आ रही चुनौतियों पर मंथन कर उनके निदानों पर विचार विमर्श किया। आयोजक नाडा इंडिया फाउंडेशन के संस्थापक व कर्मवीर पुरस्कार विजेता सुनील वात्सायन ने अपने स्वागत संबोधन में बताया कि इस कार्यशाला को आयोजित कर प्रतिनिधियों के सुझावों को सरकारों को सिफारिशों के रुप में पेश कर अभियान को मजबूती प्रदान करने में सहायक होगा।
उनके अनुसार, तंबाकू संबंधी कानूनों को मजबूती देना इसलिये आवश्यक हो जाता है क्योंकि प्रतिस्पर्धा के इस दौर में तंबाकू कंपनियां नित नये ग्लैमराइज ट्रेंड्स के द्वारा युवाओं को अपनी ओर लुभाता रहा है। फिर वह चाहे पब्लिक स्थानों में स्मोकिंग डेजिग्नेटिड ऐरिया का प्रचलन हो या फिर टीवी पर प्रसारित ओटीटी कंटेंट प्लेटफार्म में स्मोकिंग को रिझाते कलाकार। इसलिये इस संबंध में कानूनों की समीक्षा कर नियमों को ताकत देते रहना चाहिये।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित हिमाचल प्रदेश पुलिस के एसपी - मुख्यालय रमेश चन्द्र जाश्टा (आईपीएस) ने अपने संबोधन में आश्वस्त व्यक्त करते हुए कहा कि तंबाकू विरोधी अभियान अपने प्रयास जारी रखेंगे और साथ ही सरकार अधिनियम और कानून भी लागू करते रहेंगे । परिणामस्वरुप लोगों में जागरूकता भी आयेगी और बदलाव भी स्वाभाविक है। परंतु इन सभी के बावजूद सेहतमंद समाज की नींव रखने वाले युवाओं को भी चाहिए कि वे अपने व्यक्तित्व में गुणवान हो और अंदर से मजबूत हो। नशा मूल रूप से सूचक है आप अंदर से कमजोर है इसलिये इस पर काबू पाना आवश्यक है। उन्होंने इस बात पर पुरजोर दिया कि एनजीओ और सरकार के प्रयासों के साथ साथ समाज के सामूहिक समर्थन के साथ ही बुराई पर अंकुश लगाया जा सकता है।
प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में स्टेट नोडल आफिसर डॉ गोपाल चौहान ने बताया कि प्रदेश में तंबाकू के उपयोग के भारी बोझ के बावजूद सरकार ने जागरुकता अभियान द्वारा तंबाकू नियंत्रण में कामयाब रहा है और 2 अक्तूबर 2010 को शिमला को पहला धूम्रपान मुक्त शहर घोषित किया। उन्होंने ग्लोबल टोबैको सर्वे का हवाला देते हुये बताया कि 2010 से 2022 तक तंबाकू का उपयोग 21.2 फीसदी से घटकर 11.6 हो गया है। घरों में पैसिव स्मोकिंग 82.5 फीसदी से घटकर 32.9 फीसदी तक रह गई है। सर्वे के अनुसार 13 से 15 आयु वर्ग के बीच तंबाकू का उपयोग 1.1 फीसदी है जो कि भारत मे सबसे कम है। उनके अनुसार प्रदेश को तंबाकू नियंत्रण मॉडल प्रभावी है और राज्य से तंबाकू खात्मे के लक्ष्य प्राप्त करने के लिये 2025 तक तंबाकू के उपयोग को दस फीसदी से कम और 2030 तक पांच फीसदी से कम करने रणनीति तैयार की है।
एचपीयू स्थित लॉ डिपार्टमेंट के डीन प्रोफेसर संजय संधू ने युवा पीढ़ी को तंबाकू के सेवन से बचाने पर बल दिया। उनके सुझावों में स्कूलों कॉलेजों में व्यापक एंटी टोबैको एज्युकेशनल प्रोग्राम को अनिवार्य बनाना, नाबालिगों को तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर रोक के लिये सख्त कानून व उल्लंघन करने वालो को भारी दंड, पब्लिक स्थानों व मनोरंजक क्षेत्रों को टोबेको फ्री जोन बनाने, तंबाकू विरोधी मीडिया अभियान प्रोत्साहित संबंधी आदि प्रस्ताव थे।
एक अन्य वक्ता सुप्रीम कोर्ट आफ इंडिया के वरिष्ठ अधिवक्ता रणजीत सिंह के अनुसार तंबाकू के उपयोग के कारण रोगों की संख्या और मृत्यु दर में बहुत अधिक अंतर है। तंबाकू में हर साल लगभग साढे 13 लाख से अधिक भारतीयों की मौत हो जाती है। किशोरों में तंबाकू का सेवन भारत को एक बीमार राष्ट्र बनाने को न्योता देता है जिसके लिये समय रहते संबंधित कानूनों को ओर अधिक प्रभावी बनाने की जरूरत है। उन्होंने झारखंड का उदाहरण देते कहा कि हिमाचल प्रदेश भी कोटपा अधिनियम में अनुकूल संशोधन कर राज्य स्तर पर लागू कर सकता है।
नई दिल्ली से आमंत्रित कैंपेन फॉर टोबैको फ्री किड्स के संस्थापक नरेन्द्र कुमार ने अपने संबोधन पर बताया कि अकेले भारत में ही 13 से 15 वर्ष के दस में से लगभग एक किशोर ने कभी सिगरेट पी है और इनमें से लगभग आधे ने दस वर्ष की आयु से पहले तंबाकू का सेवन शुरु कर दिया है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि प्वाइंट आफ सेल (पीओएस) में दुकानदारों के लिये तंबाकू संबंधी उत्पादों के लिये सख्ताई से नियमों का पालन होना चाहिये।
भिवानी स्थित चौधरी बंसी लाल युनिवर्सिटी के प्रोफेसर डा मूलराज ने अपने संबोधन में कोटपा के खिलाफ अपराधियों के लिये कड़े दंड संबंधी अधिनियमों को शामिल किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया। उनका मत था कि प्रदेश भर में सभी पब्लिक स्थानो पर न केवल स्मोक फ्री बल्कि खुली बीडी और सिगरेट पर पाबंदी के लिये फ्लेक्स बोर्ड साईनेज द्वारा जागरुकता फैलानी चाहिये।