पंजाब के दक्षिण पश्चिम के शहरों व ग्रामीण क्षेत्रों में भूजल कैंसर की बीमारियों को बढ़ावा दे रहा है। इन क्षेत्रों में भूजल की गुणवत्ता में बहुत गिरावट आई और इससे इन क्षेत्रों में कैंसर के मामले भी लगातार बढ़ रहे है। कभी देश की रोटी का कटौरा कहा जाने वाला पंजाब अब कैंसर की राजधानी बनने लगा है। इसका खुलासा आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने किया है। जिस पंजाब के दक्षिण पशिक्षम के शहरों के भूजल में कैंसर को बढ़ावा देने वाले तत्त्व मिले है, जबकि नदियों से सटे अन्य जिलों व शहरों में भू-जल की गुणवत्ता लगभग सही पाई गई है। आईआईटी के इस शोध का उद्देश्य 2000 से 2020 तक पंजाब राज्य में पीने के पानी की गुणवत्ता में हो रहे बदलावों को ट्रैक करना, नाइट्रेट और फ्लोराइड युक्त पानी के सेवन से जुड़े स्वास्थ्य खतरों का आकलन करना और खराब भूजल गुणवत्ता वाले क्षेत्रों को चिन्हित करना था। इस शोध का नेतृत्व आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ सिविल एंड एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. डेरिक्स प्रेज शुक्ला द्वारा किया गया है और इसमें उनका सहयोग पीएचडी की छात्रा हरसिमरनजीत कौर रोमाना ने किया है, जो कि मूलरूप से पंजाब की निवासी हैं।
शोध में पता चला है कि पंजाब की 94 फीसदी आबादी अपने पीने के पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए भू-जल पर निर्भर है। इसलिए भू-जल के प्रदूषण के कारण गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हुई है। इस अध्ययन के बारे में आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ सिविल एंड एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. डीपी शुक्ला ने कहा कि हमारा लक्ष्य यह आकलन करना था कि पीने के पानी के लिए भूजल की गुणवत्ता 2000 से 2020 तक विभिन्न स्थानों पर कैसे बदल गई है। इस व्यापक शोध के निष्कर्ष पर्यावरण विज्ञान और प्रदूषण अनुसंधान पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं। इस पेपर को हरसिमरनजीत कौर रोमाना, प्रो. रमेश पी सिंह और डा. डेरिक्स स्तुति शुक्ला के सहयोग से प्रकाशित किया गया है।इस अध्ययन में पंजाब में 315 से अधिक स्थानों से पीएच, विद्युत चालकता (ईसी) और विभिन्न आयनों की माप शामिल था। इन परिणामों से एक परेशान करने वाली स्थिति सामने आई है कि पंजाब के दक्षिण पश्चिमी क्षेत्र में पानी की गुणवत्ता में काफी गिरावट आई है, जिससे निवासियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।