हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला में आज हड़ताल के दूसरे दिन MA सोशल वर्क विभाग के छात्रों ने सोशियोलॉजी और सोशल वर्क के अध्यापकों,विभाग अध्यक्ष का घेराव, धरना और कक्षाओं को बहिष्कार किया गया।
पिछले कल बहुत बड़ा हंगामा विभाग के बाहर तब हो गया जब विभाग पर कुछ अध्यापको पर राजनीति करने के आरोप लगे तथा छात्रों ने आरोप लगाए कि सोशियोलॉजी और सोशल वर्क का डिपार्टमेंट जो साथ चलता था आज अध्यापकों की आपसी मतभेद के कारण छात्रों को आपस में बांटने की कोशिश की जा रही है जिसमें सोशल वर्क के छात्रों के साथ सौतेला व्यव्हार लगातार किया जा रहा है। छात्रों ने आरोप लगाए हैं कि विश्वविद्यालय के सोशियोलॉजी तथा सोशल वर्क विभाग की पूर्व विभागाध्यक्षा सोशल वर्क के छात्रों को इस विभाग का मानती ही हैं तथा लगातार कक्षाओं में कहती हैं कि सोशल वर्क विभाग हमारा विभाग नहीं है।
कुछ छात्रों से जब Times Of Himachal टीम की बात हुई तो उन्होंने कहा कि " साफ है कि किस तरह से बांटने की कोशिश की जा रही है इसके साथ कुछ प्रोफैसर है जो बोल रहे हैं कि सोशल वर्क कोर्स डीपाटमेंट का हिस्सा नहीं है। लेकिनकिन सोशल वर्क विभाग फिर भी सबको साथ लेकर चल रहा है"
छात्रों में से हैप्पी ने कहा कि " हम वो हैं जो विश्वविद्यालय शिमला में क्लासरूम की व्यवस्था न होने की वजह से 1 बजे क्लास लगाते हैं। हमारे कोर्स के छात्र लंच तक नहीं कर पाते हैं इसके बाबजूद हम सबसे ज्यादा फ़ीस भी देते हैं लेकिन हमारी कक्षाएं समय पर न लगाकर छात्रों पर राजनीति की जा रही है। ऐसी परिस्थिति में आज हमने सोशल वर्क में क्लास का बहिष्कार कर दिया और पिछले कल से अपनी कक्षा सुबह समय पर लगाने और सोशल वर्क के लिए अलग क्लास रूम लैब आदि की मांग कर रहे हैं।"
छात्रों ने आरोप लगाए हैं कि पिछले चेयरमैन के समय कुछ सालों से 5000, 14000 फीस वसूली गई है जो सरासर गलत है क्योंकि छात्रों ने अपनी जेब खर्चे से फील्ड वर्क लगाए थे। सवाल बनता है कि प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी विश्वविद्यालय में छात्र क्यों ऐसा करने पर मजबूर हुए हैं। आज दो दिन धरने को चलते हो गए हैं लेकिन विश्वविद्यालय के आलाधिकारियों पर जूं तक नहीं रेंग रही है।