हाईकोर्ट ने विधानसभा पर लगाया 50 हजार का जुर्माना, जाली दस्तावेजों के आधार पर नियुक्ति देने का है मामला

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हाईकोर्ट ने हिमाचल विधानसभा पर जाली दस्तावेजों के आधार पर नियुक्त कर्मचारी के खिलाफ दी शिकायत पर कोई कार्रवाई ना करने पर 50 हजार रुपये की कॉस्ट लगाई है। न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ ने याचिकाकर्ता कमल जीत की याचिका को स्वीकारते हुए विधानसभा सचिव को आठ सप्ताह के भीतर अपने दोषी अधिकारियों के खिलाफ मामले की जांच करने के आदेश भी दिए।

कोर्ट ने जांच को उसके तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने और इसकी रिपोर्ट आगे की आवश्यक कार्रवाई करने के लिए सक्षम प्राधिकारी के समक्ष रखने के आदेश भी दिए। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जूनियर ट्रांसलेटर के पद पर नियुक्ति देने के आदेश भी दिए। इस मामले में जिस कर्मी को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्त किया गया था वह पहले ही अपने पद से त्यागपत्र दे चुका है।

कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में नियोक्ता द्वारा समय पर कार्रवाई करने से कतार में लगे अन्य अभ्यर्थियों को परेशानियों से बचाया जा सकता है। नियोक्ता से कम से कम यह अपेक्षा की जा सकती है कि वह शिकायत पर किसी प्रकार की जांच शुरू करे, ताकि यह पता लगाया जा सके कि नियुक्त व्यक्ति के पास पद के लिए अपेक्षित शैक्षिक मानदंड हैं या नहीं।

इस सामान्य ज्ञान तर्क को धता बताते हुए नियोक्ता विधानसभा द्वारा उपरोक्त सामान्य उपाय भी नहीं अपनाया गया। कोर्ट ने कहा कि फर्जी दस्तावेज अथवा नकली प्रमाणपत्र के आधार पर रोजगार प्राप्त करना एक गंभीर मामला है लेकिन विधानसभा ने इस पर आंखें मूंद ली जिस कारण नियोक्ता का आचरण अशोभनीय है।

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