हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की गलयोग-सिणी पंचायत में पंचायत घोटाला सामने आया है। ग्राम पंचायत के प्रधान मोती राम पर आरोप है कि उन्होंने पिछले 10 सालों से बीपीएल और आईआरडीपी योजनाओं का अनुचित लाभ उठाया। सुक्खू सरकार के स्पष्ट नियमों के बावजूद, जो पंचायत जनप्रतिनिधियों को इन योजनाओं का लाभ लेने से रोकते हैं, मोती राम का नाम इन सूचियों में दर्ज है।
खण्ड विकास अधिकारी, निहरी द्वारा प्रस्तुत प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में पाया गया कि मोती राम का नाम बीपीएल और आईआरडीपी सूची में शामिल है। यह खुलासा तब हुआ जब स्थानीय लोगों ने इस मामले को उठाया। जांच में मोती राम को अपने कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही का दोषी पाया गया। हैरानी की बात यह है कि मोती राम पिछले पांच सालों तक पंचायत के उपप्रधान रहे और अब प्रधान के पद पर हैं।
मामले को और जटिल बनाता है यह तथ्य कि मोती राम की पत्नी आंगनबाड़ी में हेल्पर के पद पर कार्यरत हैं और लगभग 5200 रुपये मासिक वेतन प्राप्त करती हैं। यह स्थिति कई सवाल खड़े करती है, क्योंकि बीपीएल और आईआरडीपी योजनाएं गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पंचायत घोटाला सरकारी योजनाओं के दुरुपयोग का स्पष्ट उदाहरण है।
जिला पंचायत अधिकारी अंचित डोगरा ने हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम, 1994 की धारा 145 और नियम 142 के तहत मोती राम को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। नोटिस में पूछा गया है कि क्यों न उन्हें प्रधान पद से निलंबित किया जाए। मोती राम को 15 दिनों के भीतर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया गया है। यदि वे जवाब नहीं देते, तो उनके खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला कई महीनों से लंबित है, लेकिन अभी तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई। सरकार के निर्देशों के अनुसार, ऐसे मामलों में पंचायत प्रधान को तत्काल निलंबित किया जाना चाहिए। स्थानीय निवासियों में इस देरी को लेकर नाराजगी है। उनका कहना है कि यह पंचायत घोटाला न केवल गलयोग-सिणी बल्कि अन्य पंचायतों में भी पारदर्शिता की कमी को दर्शाता है।
मामले की जांच अभी जारी है। जिला पंचायत अधिकारी ने स्पष्ट किया है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस मामले ने स्थानीय स्तर पर सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन और पंचायत प्रतिनिधियों की जवाबदेही पर सवाल उठाए हैं। अधिक जानकारी के लिए हिमाचल प्रदेश सरकारी पोर्टल देखें।