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शौर्य और बलिदान को नमन, 26 साल पहले पाकिस्तान को मात देकर भारतीय सेना ने तिरंगे की शान बचाई

आज देशभर में कारगिल विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ श्रद्धा और गर्व के साथ मनाई जा रही है। 1999 में कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने दुर्गम पहाड़ियों पर कब्ज़ा जमाए बैठे पाकिस्तानी सैनिकों को पीछे हटाकर निर्णायक जीत दर्ज की थी। इस युद्ध में 527 से अधिक सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे, लेकिन उनके बलिदान ने तिरंगे को हर हाल में ऊँचा रखा।

कारगिल युद्ध: कैसे शुरू हुई थी लड़ाई

मई 1999 में पाकिस्तानी सेना और घुसपैठियों ने कारगिल सेक्टर की ऊँचाइयों पर कब्जा कर लिया। भारतीय चरवाहों ने सबसे पहले इस गतिविधि को देखा और सेना को जानकारी दी। जब हालात साफ़ हुए तो यह सामने आया कि दुश्मन ने टाइगर हिल, तोलोलिंग, पॉइंट 4875 और कई अन्य चोटियों पर मज़बूत ठिकाने बना लिए हैं। इन चोटियों को वापस पाने के लिए भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय शुरू किया।

60 दिनों तक बर्फ़ से ढकी ऊँचाइयों पर दुश्मन की गोलियों का सामना करते हुए भारतीय सैनिकों ने मोर्चा संभाला। 8,000 से 18,000 फीट की ऊँचाई पर, -10 से -15 डिग्री तापमान में, जवानों ने रात-दिन कठिन लड़ाई लड़ी। कैप्टन विक्रम बत्रा का “**ये दिल मांगे मोर**” उस समय का जोश और आत्मविश्वास दर्शाता है। ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव ने 17 गोलियाँ झेलने के बावजूद दुश्मन की पोस्ट पर कब्ज़ा किया। अंततः 26 जुलाई 1999 को विजय की आधिकारिक घोषणा हुई और पाकिस्तान को हार माननी पड़ी।

आज देशभर में श्रद्धांजलि

आज लद्दाख के ड्रास वार मेमोरियल पर सेना प्रमुख, वरिष्ठ अधिकारी और शहीदों के परिवार एकत्र हुए। युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की गई और 21 तोपों की सलामी दी गई। प्रधानमंत्री ने दिल्ली स्थित राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी और कहा, “कारगिल के वीरों ने अदम्य साहस दिखाया और भारत की अखंडता की रक्षा की। उनका बलिदान सदा प्रेरणा देता रहेगा।”

भारतीय सेना ने इस बार एक विशेष अभियान शुरू किया है जिसके तहत 545 शहीद परिवारों को उनके घर जाकर सम्मानित किया जाएगा। बेंगलुरु में 75 फीट ऊँचा वीरगल्लू स्मारक भी आज अनावरण किया गया। सूरत, कानपुर और महाराष्ट्र के सातारा जैसे शहरों में शहीद परिवारों को आर्थिक सहायता और सम्मान पत्र दिए गए। स्कूलों और कॉलेजों में तिरंगा यात्राएँ निकाली गईं, देशभक्ति गीत गाए गए और कारगिल के वीरों की गाथाएँ सुनाई गईं।

क्यों खास है कारगिल विजय दिवस

कारगिल युद्ध ने दिखाया कि भारतीय सेना किसी भी परिस्थिति में देश की रक्षा के लिए तैयार है। यह पहली बार था जब दुश्मन को इतनी ऊँचाई पर लड़ाई में मात दी गई। इस युद्ध ने भारतीय जवानों की रणनीति, अनुशासन और देशभक्ति का ऐसा उदाहरण पेश किया जिसे आज नई पीढ़ी भी याद करती है।

कारगिल विजय दिवस सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि उस जज़्बे की याद है जिसने साबित कर दिया कि भारत का सैनिक चाहे कितनी भी मुश्किल स्थिति क्यों न हो, मातृभूमि की रक्षा में पीछे नहीं हटता।



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