तीसरी बार बढ़ी TGT भर्ती आवेदन की तारीख: बार-बार बढ़ती डेडलाइन सरकार की प्रशासनिक असफलता का प्रतीक?

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हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित TGT (Trained Graduate Teacher) भर्ती प्रक्रिया एक बार फिर चर्चा में है — और इस बार भी वजह कोई उत्साहजनक नहीं है। आवेदन की अंतिम तिथि तीसरी बार बढ़ा दी गई है, जो भर्ती तंत्र में व्याप्त अव्यवस्था और कमजोर प्रबंधन की ओर इशारा करती है। 

तिथियों में फेरबदल: योजना या भ्रम का संकेत?

- प्रारंभिक तिथि: 17 जुलाई 2025 

- फिर बढ़ा कर किया गया: 31 जुलाई 

- और अब अंतिम तिथि बढ़ाई गई: 31 अगस्त 2025

आयोग ने इसका कारण राज्य में भारी बारिश, नेटवर्क और आवागमन की दिक्कतें बताया है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या यही कारण हर बार इस व्यवस्था में बदलाव का आधार बन सकते हैं?

बार-बार तिथियों के फेरबदल से राज्य सरकार की तैयारी, पूर्व योजना और प्रशासनिक गंभीरता पर गहरे सवाल खड़े होते हैं। यह दर्शाता है कि या तो सरकार को परिस्थिति का पूर्व आकलन करने की क्षमता नहीं है, या फिर प्रक्रिया के संचालन के लिए जरूरी इच्छाशक्ति और सामंजस्य की भारी कमी है।

भर्ती प्रक्रिया या मात्र ‘delayed announcement’ का खेल?

TGT पदों के लिए युवाओं ने वर्षों इंतज़ार किया है। अब जब बहुप्रतीक्षित भर्ती आई है, तो लगातार तारीखें बढ़ाकर युवाओं की आशाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। इससे केवल उम्मीदवार भ्रमित नहीं होते, उनका मनोबल भी टूटता है, और चयन प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर भी संदेह गहराता है।

यह सिर्फ ‘तारीख’ नहीं, सरकारी प्रणाली की विफलता का संकेत है ?

- विश्वसनीयता की कमी: भर्ती की प्रक्रियाओं में असमय बदलाव से आयोग की और सरकार की छवि दोनों को नुकसान पहुंचता है।

- योजना में पिछड़ापन: लचर संरचना और आपात स्थितियों का सामना करने में असमर्थ प्रबंधन यह दिखाते हैं कि सरकार जमीनी समस्याओं से निपटने में पूरी तरह नाकाम रही।

- युवाओं में मोहभंग: इस तरह की अस्थिर व्यवस्था से युवा वर्ग का सरकारी व्यवस्थाओं से भरोसा उठना लाजमी है, खासकर उन अभ्यर्थियों के लिए जो वर्षों से सरकारी नौकरी की आस लगाए बैठे हैं।

सरकार को अब जवाब देना होगा

क्या हर बार प्राकृतिक आपदा के नाम पर तारीख बढ़ा देना समाधान है? क्या चुनावी साल को देखते हुए युवाओं को केवल तिथियों और घोषणाओं के सहारे रखा जा रहा है? 

सरकार और आयोग को इस पर जवाबदेह बनना होगा कि क्यों इतनी महत्वपूर्ण भर्ती प्रक्रिया को इस तरह ढीली रफ्तार और अव्यवस्था का शिकार बनाया गया। जनता अब केवल तिथियों में बदलाव नहीं, एक ठोस और पारदर्शी भर्ती प्रणाली की मांग कर रही है।



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