हिमाचल प्रदेश में आज तक अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को शिक्षण संस्थानों, खासकर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (HPU) जैसे उच्च शिक्षा केंद्रों में आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाया है। संविधान के 93वें संशोधन में स्पष्ट रूप से प्रावधान किया गया था कि पिछड़े वर्गों को भी शिक्षा संस्थानों में आरक्षण का हक मिलना चाहिए, लेकिन राज्य की नीतियों और प्रशासनिक उपेक्षा के चलते OBC वर्ग शिक्षा की मुख्यधारा में बराबरी का अवसर प्राप्त नहीं कर पाया।
इसी ऐतिहासिक अन्याय के खिलाफ अब OBC समाज खुलकर मैदान में उतर रहा है। OBC संघर्ष समिति का गठन किया गया है, जो आगामी 20 सितंबर को कांगड़ा से धर्मशाला तक पैदल मार्च करने जा रही है। इस पैदल मार्च में प्रदेशभर के पिछड़ा वर्ग के छात्र, युवा और सामाजिक कार्यकर्ता हिस्सा लेंगे।
इस आंदोलन का नेतृत्व अधिवक्ता सौरभ कौंडल समेत कई युवा कर रहे हैं, जो समिति में एक प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। उनका कहना है कि “93वें संविधान संशोधन के बाद भी जब प्रदेश की सरकारें OBC आरक्षण लागू नहीं कर रही हैं, तो यह साफ तौर पर हक़ों से वंचित रखने की साज़िश है। अब हमें हमारा संवैधानिक अधिकार चाहिए।”
पृष्ठभूमि
- भारत सरकार ने 2006 में 93वां संविधान संशोधन लागू किया, जिसके तहत OBC समेत सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों को शिक्षा के संस्थानों में आरक्षण का अधिकार दिया गया।
- देशभर में इस प्रावधान के अंतर्गत केंद्रीय विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों में OBC को आरक्षण का लाभ मिला।
- लेकिन हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय और राज्य के अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों में आज तक यह संवैधानिक अधिकार लागू नहीं हो पाया।
बढ़ता आक्रोश
OBC संघर्ष समिति का कहना है कि यह आंदोलन मात्र चेतावनी है। यदि सरकार और प्रशासन ने इस मुद्दे पर ठोस कदम नहीं उठाए, तो आने वाले वक्त में यह संघर्ष और तेज़ होगा।
20 सितंबर का पैदल मार्च इस मांग को लेकर एक बड़े जनांदोलन का संकेत माना जा रहा है।