Rupansh Rana ✍️
हमारी ओर से पक्षपातरहित ऑब्जरवेशन और विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, फतेहपुर विधानसभा में हाल ही में भाजपा के कई पुराने नेताओं की एक अहम मीटिंग हुई है। सूत्र बताते हैं कि यह बैठक मदन राणा के आवास पर हुई, जिसमें जगदेव सिंह, पंकज हैप्पी और भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश अध्यक्ष मदन राणा, OBC के बड़े नेता OP चौधरी सहित कई नेता मौजूद थे। जाहिर सी बात है कि भाजपा की कलह जगजाहिर है तो एक म्यान में 5 तलवारें कैसे रह सकती हैं तो जरूरी हो सकता है कि चर्चा का मुख्य मुद्दा था कि फतेहपुर के टूटे तथा बिखरे और अपनी नियत के शिकार हुए भाजपाई पुराने और स्थानीय नेताओं को एकजुट करके चुनाव लड़ना चाहते हों, ताकि बाहर के किसी नेता को टिकट देने की प्रथा को समाप्त किया जा सके।
यह मीटिंग एक सकारात्मक संकेत मानी जा रही है क्योंकि इससे भाजपा के पुराने नेताओं में एकजुटता के प्रयास नजर आ रहे हैं, जो पिछले वर्षों में अनेक हारों के बाद पार्टी के लिए जरूरी कदम माना जा सकता है। हालांकि हो सकता है कि संघ के 100 वर्षों के बाद परेड के दौरान इनके दिमाग हिलें हों और कोई जुगत सूझी हो लेकिन हमारी जानकारी के अनुसार, अगर भाजपा के ये दिग्गज पूरी तरह से मिलकर चुनावी रणनीति बनाते हैं और मैदान में एकजुट होकर उतरते हैं, तो फतेहपुर विधानसभा में पार्टी की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।
व्यंगात्मक
हालांकि भाजपा की हार को बार बार देखकर उम्र काटता और जीत की आस लगाए एक ताऊ चौपाल में बेला बैठा था और जब ताऊ को ये मीटिंग वाली बात पता चली तो झुँझलाकर चोपड़ राम को ही खरी खोटी सुना दी जो फ़ेसबुक पर इस पोस्ट को पढ़कर ताऊ को सुना रहा था।
“ताऊ जी, कल बड़ी मीटिंग हुई फतेहपुर में। भाजपा के पुरान बड़े संघी, OBC की चौधर में पड़े OP चौधरी तथा मजदूर संघ वाले—सब जुटे थे भामसं नेता मदन राणा के घर पे। कह रहे थे कि अब की बार बाहरी बंदा नहीं चलेगा, टिकट हमारे में से ही किसी को दो।”ताऊ ने मुस्कराते हुए बीड़ी सुलगाई,
“हैं… फिर वही पुराना खेल? टिकट की नहीं, तिकड़म की मीटिंग हुई होगी! फतेहपुर के नेताओं को हर पांच साल बाद याद आता है कि वो इकट्ठे हैं।
”चोपड़ राम बोला, “पर ताऊ, कहते हैं हम सब एक हैं अब—जगदेव, पंकज, बाकी सब। इस बार भाजपा इकठ्ठी है।”ताऊ ने बीड़ी का लंबा कश लेते हुए कहा, “चोपड़्या, इक्कठे तो लोग JCB के को देखने भी हो जाते हैं और जब भैंस नीलाम होती है तो पूरा गांव इक्कठा होता है। सवाल ये है—दूध किसके काम आएगा? इनके में हर बंदा चाहता है टिकट, और न मिले तो फिर बाहर वाले को दोष!
”चोपड़ राम हँसते हुए बोला,“ताऊ, सुनने में आया है कि इस बार ‘धरती पुत्र की आवाज़ बुलंद होगी।’”ताऊ ठहाका मारकर बोला,
“बिलकुल होगी बेटा! लेकिन तब, जब धरती पुत्र धरती पे पैर टिकाए रखे। अब तो सबकी नज़र टिकट पर है, धरती पर नहीं। नेताओं की मीटिंग ऐसे लगती है जैसे खेत में बुवाई से पहले झगड़ा हो जाए कि हल कौन पकड़ेगा!
”थोड़ा रुककर ताऊ गंभीर हुआ, “देख चोपड़्या, फतेहपुर की हालत ये है कि 15 साल से जीत किसी और के नाम नहीं लिखी। हर बार नया चेहरा भेजते हैं, और ये मीटिंग वाले उसका जीना हराम कर देते हैं, एक दूसरे के सुथनु(पजामा) को खींचने का प्रयास करते हैं।
राजनीति सेवा नहीं रही, बस सीट की सेंकाई बन गई है।
”चोपड़ राम ने पूछा,“तो ताऊ, अब की बार कौन जीतेगा?”ताऊ ने बीड़ी बुझाकर कहा,
“जिस दिन भाजपा की मीटिंग में नेतागिरी से ज़्यादा जनता की बात होगी—उस दिन जीत खुद चलकर आएगी। अभी तो मीटिंगें नेताओं के लिए होती हैं, मतदाताओं के लिए नहीं।”
फिर ताऊ ने बीड़ी खत्म की ओर लम्बी सांस लेकर दुखी मन से कहा "ओ चोपड़या! इना तिलां तेल ऐनी"। बिचारे चोपड़ राम का सारा मुड़ जो फेसबुक पर खबर देखकर बना था चौपट कर दिया।