हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में आउटसोर्सिंग कर्मियों के हटाए जाने के बाद से विभागों में भारी स्टाफ की कमी देखी जा रही है। इससे न सिर्फ विश्वविद्यालय का आधा काम ठप हो गया है, बल्कि जिन छात्राओं का आवागमन दूरदराज से होता है, उन्हें भी बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। छात्र अभी भी असमंजस की स्थिति में हैं क्योंकि स्टाफ की कमी के कारण छात्र सेवाओं और प्रशासनिक कार्यों में देरी हो रही है।
इसके अलावा विश्वविद्यालय के स्थायी कर्मचारियों में से कई अभी कंप्यूटर सिस्टम और ERP सॉफ्टवेयर का प्रयोग करने में पूरी तरह से सक्षम नहीं हैं, जिससे तकनीकी समस्याएं बढ़ रही हैं। ERP सिस्टम के कारण काम में रुकावटें एवं डेटा प्रबंधन में दिक्कतें सामने आ रही हैं।
सबसे बड़ी चिंता यह है कि विश्वविद्यालय ने नॉन-टीचिंग स्टाफ की नियमित भर्ती के लिए 2020 में आवेदन जरूर लिए थे, लेकिन आज तक भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। इस वजह से स्टाफ की कमी मजबूती से खत्म नहीं हो पा रही है और विश्वविद्यालय के सभी कार्य सुचारू रूप से नहीं चल पा रहे हैं।
छात्र, कर्मचारी और विभिन्न विभाग प्रशासन से जल्द से जल्द नियमित भर्ती कराने और आवश्यक स्टाफ की त्वरित व्यवस्था करने की मांग कर रहे हैं ताकि यूनिवर्सिटी में शिक्षा और प्रशासनिक कामकाज बिना बाधा के चले।
यह सवाल भी उठा है कि आखिर रेगुलर भर्ती कब होगी, क्योंकि लंबे समय से नॉन-टीचिंग स्टाफ की कमी से विश्वविद्यालय का काम प्रभावित हो रहा है।
इस समय प्रशासन के लिए यह आवश्यक हो गया है कि आउटसोर्सिंग कर्मियों की जगह स्थायी भर्ती और तकनीकी प्रशिक्षण पर ध्यान देकर विश्वविद्यालय की कार्य प्रणाली को मजबूत किया जाए।