घोटाले की चपेट में ग्रामीण विकास विभाग: 68 लाख की जालसाजी के बाद कर्मचारी चयन भी संदेह के घेरे में

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हिमाचल प्रदेश ग्रामिण विकास विभाग में हाल ही में जो दो बड़े विवाद सामने आए हैं, वे विभाग की कार्यप्रणाली, कर्मचारियों की जिम्मेदारियां और भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर महत्वपूर्ण सवाल उठाते हैं।

भर्ती क्या है और इनका काम

यह भर्ती हिमाचल प्रदेश स्टेट रूरल लाइवलीहुड मिशन (HPSRLM), नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन (NRLM) और दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDUGKY) के तहत आउटसोर्स कर्मचारियों की है।  

इन कर्मचारियों में जिला स्तर पर DPM ( Distt Program Manager) ,ME non farm/Farm ,Area coordinator,MIS के साथ-साथ अन्य सहायक स्टाफ होते हैं, जिनका काम ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका संवर्धन के लिए सरकार की योजनाओं को लागू करना है।  

इनका मुख्य कार्य—  

- ग्रामीण महिलाओं और समूहों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना  

- सरकारी योजनाओं का जमीनी स्तर तक क्रियान्वयन, मॉनिटरिंग व प्रशिक्षण  

- आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के लिए कौशल विकास कार्यक्रम चलाना  

- विभागीय दस्तावेज, लाभार्थी चयन, रिपोर्टिंग व वित्तीय लेन-देन  

भर्ती और डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन

इनकी भर्ती आमतौर पर आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से होती है, जिसके लिए शैक्षणिक योग्यता, अनुभव सर्टिफिकेट, नियुक्ति पत्र और जॉइनिंग रिपोर्ट आदि दस्तावेज़ मांगे जाते हैं। हाल ही में कोर्ट के आदेश पर सभी डीडीयू-जीकेवाई और एनआरएलएम स्टाफ के डॉक्युमेंट्स की व्यापक स्तर पर जांच और वेरिफिकेशन का अभियान शुरू हुआ।  

सभी कर्मचारियों से उनके ओरिजिनल और स्व-अभिप्रमाणित दस्तावेज एक तय शेड्यूल के अनुसार जमा करने को कहा गया है ताकि किसी भी धोखाधड़ी, फर्जी नियुक्ति या अनियमितता का तुरंत पता चल सके।  

68 लाख का घोटाला: घोटाले का पूरा विवरण

इसी विभाग में 68,31,200 रुपये के एक फर्जी सैंक्शन ऑर्डर का बड़ा घोटाला सामने आया है।  

- संबंधित अधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर कर यह ऑर्डर जारी किया गया, जिसके चलते विभाग को वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा।  

- केस का खुलासा अफसर के संदेह के बाद हुआ और एसडीसी केलांग की शिकायत पर पुलिस ने आपराधिक धाराओं में मामला दर्ज किया।  

- जांच में विभागीय स्तर पर दस्तावेज़ों की समीक्षा और फाइल की छानबीन की जा रही है ताकि दोषियों का पता लगाया जा सके।  

इन दोनों मामलों से साफ है कि ग्रामीण विकास विभाग में न केवल घोटाले की गंभीरता है, बल्कि रोजगार की पारदर्शिता और विधिपूर्वक दस्तावेजों का सत्यापन भी अनिवार्य हो गया है। विभाग अब नियुक्तियों व फाइनेंशियल ट्रांजैक्शंस के लिए पहले से ज्यादा सख्त निगरानी व पारदर्शिता की ओर बढ़ रहा है।

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