केंद्र सरकार के एक फैसले के खिलाफ पंजाब यूनिवर्सिटी में भारी प्रदर्शन, छात्र ,शिक्षक, नेता तथा बड़े बड़े गायक कूदे धरने में। जानिए क्या है पूरा मामला..

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पंजाब यूनिवर्सिटी में धरना प्रदर्शन इसलिए बढ़ा है क्योंकि छात्र सीनेट चुनाव की तारीख घोषित करने की मांग कर रहे हैं। हाल ही में केंद्र सरकार ने पंजाब यूनिवर्सिटी की 59 साल पुरानी सीनेट और सिंडिकेट को भंग कर दिया था, जिससे विवाद बढ़ गया। बाद में केंद्र सरकार ने भंग करने वाली अधिसूचना वापस ले ली, लेकिन छात्र अभी भी चुनाव की तारीख की घोषणा तक विरोध जारी रखना चाहते हैं। इस दौरान छात्र यूनिवर्सिटी के गेट पर प्रदर्शन कर रहे हैं और प्रशासन ने सुरक्षा बढ़ा दी है। इस आंदोलन को राजनीतिक नेताओं और विभिन्न समूहों का समर्थन भी मिला है, जो यूनिवर्सिटी की स्वायत्तता और छात्र अधिकारों की रक्षा का पक्ष रख रहे हैं। छत्तीसगढ़ पुलिस के खिलाफ भी छात्र नारेबाजी कर रहे हैं और कल यानी सोमवार को बड़ी प्रदर्शन की योजना है, जिसके चलते यूनिवर्सिटी ने 10 और 11 नवंबर की छुट्टियां घोषित की हैं। इस मुद्दे पर प्रदेश की सियासत भी गरमाई हुई है और विपक्ष भी केंद्र सरकार के फैसले का विरोध कर रहाharyana-domicile-student

पंजाब यूनिवर्सिटी का सीनेट और सिंडिकेट क्या हैं?

  • सीनेट: यूनिवर्सिटी का सर्वोच्च नियामक निकाय है जिसमें शिक्षक, गैर-शिक्षक कर्मचारी, छात्र और प्रशासनिक सदस्य शामिल होते हैं। यह विश्वविद्यालय की नीतियां और वित्तीय फैसले बनाती है।
  • सिंडिकेट: यह विश्वविद्यालय का कार्यकारी निकाय है जो दिन-प्रतिदिन के प्रशासन और संचालन को संचालित करता है।
  • केंद्र सरकार के पुराने निर्णय में सीनेट की संख्या 90 से घटाकर 31 करने की बात थी, और सिंडिकेट को नामांकित निकाय में बदल देने का प्रस्ताव था, जिसे छात्रों और राजनीतिक दलों ने विश्वविद्यालय की स्वायत्तता पर हमला बताया था।
विरोध के चलते केंद्र को उसे वापस लेना पड़ा।आज के धरना-प्रदर्शन और बंद का मकसद केवल नोटिफिकेशन वापस लेना नहीं, बल्कि चुनाव की असली तारीख की घोषणा करवाना है ताकि लोकतंत्र का बहुमूल्य हिस्सा यानी छात्र प्रतिनिधित्व और विश्वविद्यालय की पारदर्शिता बनी रहे। इस पूरे विवाद में छात्र संगठनों ने सभी विचारधाराओं को साथ लेकर एक साझा मंच तैयार किया है और वे संघर्ष के लिए पूरी तरह तैयार हैं।यह आंदोलन न केवल विश्वविद्यालय परिसर तक सीमित है बल्कि पंजाब के कई नए और पुराने राजनीतिक चेहरे, छात्र संगठनों और किसान संगठनों तक फैल चुका है, जो इसे व्यापक रूप देने में लगे हैं। इससे प्रदेश की राजनीति भी प्रभावित हुई है और विधानसभा व केंद्र की सरकार पर इस मामले में दबाव बना हुआ है।यह विरोध प्रदर्शन पंजाब यूनिवर्सिटी की स्वतंत्रता और चुनावी प्रक्रिया के आदर्शों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण मामला बन चुका है, जो आने वाले दिनों में और गहराने की संभावना है।

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