पिछले कल यानी शनिवार को धर्मशाला में कांग्रेसी प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप राठौर पर अपने ही कांग्रेसी शनि की तरह राठौर को रगड़ते दिखे। हुआ यूं कि कल धर्मशाला में जश्नाधिपति, हर्षवर्धन चौहान , सुधीर शर्मा,कुलदीप सिंह पठानिया,अजय महाजन समेत कई अन्य पदाधिकारियो द्वारा प्रदेश में हुई चुनावी जीत को लेकर प्रेसवार्ता रखी गयी थी और इसी के साथ बडे जोरों छोरो से दावे किए गए कि 2022 को लेकर हम आने वाले हैं और जीत दर्ज करने वाले हैं उन्होंने ये तक भी बोला कि महंगाई की वजह से जनता ने कांग्रेस का साथ दिया है और कांग्रेस को जीत दिलवाई है लेकिन हैरानी की बात ये है कि टीम के कप्तान कुलदीप राठौर का कहीं भी कोई जिक्र नही और न ही कोई श्रेय दिया गया।
इसी के साथ जब प्रेसवार्ता में मौजूद सभी कांग्रेस नेताओं से सांझा सवाल किया गया कि" क्या आप इस जीत का श्रेय अपने प्रदेशाध्यक्ष को देंगे ? तो उसी दौरान कुलदीप राठौर सियासी शिकार होते दिखे किसी ने भी श्रेय नही दिया और न ही जिक्र किया आनन फानन में एक सियासी माहिर हर्षवर्धन चौहान ने बात को तोड़ते हुए कहा कि "देखिए,राठौर हाईकमान ने बनाए हैं। वो अध्यक्ष है। इस वजह से हम उनका आदर करते हैं।" किसी अन्य नेता ने, न तो कोई जवाब दिया और न ही यह माना कि उपचुनावों की जीत में राठौर का कोई रोल रहा है। सब चुप्पी साध गए।
जब हार का पूरा जिम्मा टीम कैप्टन पर जाता है तो जीत का श्रेय थोड़ी ही सही पर राठौर को न देकर उनके साथ बहुत बड़ा सियासी प्रपंच खेला गया और कलह जग जाहिर हो गयी कि ये कांग्रेसी आपस में कोल्ड वॉर के शिकार हो चुके हैं और अब इनका 2022 में आपसी गृह युद्ध न हो ये भी संभव नही है ये भी जगजाहिर है कि कांग्रेसी पहले भी खार खाते आये हैं लेकिन ये खार तो अब सामने आ गयी।
कलह जगजाहिर होने के साथ ये संदेश भी गया है कि कांग्रेसी नेता अभी अपनी अपनी ऐडजस्टमेन्ट में लगे हैं तब तक भाजपाई पिछली हार का मंथन करो और गलतियां सुधार कर आगे बढ़ो क्योंकि ये कांग्रेसी सियासत है जो वीरभद्र के समय से चली आई है वो थे कि डैमेज को कंट्रोल कर लेते थे पर अब कोई माई बाप नही बचा है जिस कारण कांग्रेसी नेता बेलगाम हो चुके हैं।