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अफसरशाही का शिवरात्रि पर तांडव ! राणा तथा दीक्षित को दिए दस मिनट, रघुवंशी को बुलाया ही नही....

मंडी के आयोजित अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में अफसरशाही द्वारा ऐसा तांडव कलाकारों के साथ किया गया जो गौर करने योग्य था यह वो सांस्कृतिक तांडव नृत्य था जो अफसरशाही ने मण्डी शिवरात्रि के मंच पर हिमाचली कलाकारों में साथ किया वैसे तो राज्य में राजनीतिक दृष्टि से कांगड़ा को नजरअंदाज करने के आरोप लगते रहते हैं लेकिन अब हिमाचली लोकगायकों को हिमाचल में ही नजरअंदाज किया जा रहा है या यूं कह ले कि किसी खाते में नही रखा जा रहा है। पिछले दिनों वैसा ताजा उदाहरण तब सामने आया जब दोनों कांगड़ी गायकों करनैल राणा तथा संजीब दीक्षित को साइड लाइन किया गया क्योंकि स्टेज तो दी गयी पर मात्र 10 मिनट। दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय गायक हंसराज रघुवंशी को तो बुलाया तक नही और ये हबाला दिया गया कि उनकी फ़ीस ज्यादा है यहां शिव शंकर की शिवरात्रि मनाई जा रही थी तो वहीं शिव भक्त रघुवंशी न बुलाना अपने आप ने सवालिया निशान खड़े करता है। अब सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर क्यों ऐसी बेरुखी गायकों के साथ की गई ? क्योंकि दोनों गायक हिमाचल के नाम रौशन कर चुके हैं तथा लगातार लोगों के दिलों में आज भी राज कर रहे हैं करनैल राणा तो किसी समय हर की जुबान पर होता था और संजीव दीक्षित भी लोकमंच से लेकर मुम्बई में अल्का याग्निक के साथ गीत गा चुके हैं । क्या अफसरों की नजर में इन लोक गायकों की कोई एहमियत नहीं है ? क्यों ऐसा किया गया कि राणा साढ़े सात-आठ मिनट के हकदार माने गए और संजीव को भी 10 मिनट के अंदर स्टेज से बाहर कर दिया गया ? 

आखिर क्यों अफसरशाही ने सांस्कृतिक संध्याओं के नाम पर इन् कलाकारों के साथ मजाक किया गया? अब दूसरी ओर बात करें पंजाबी कलाकारों की तो उन्हें लाखों रुपये देकर बुलाया जाता है परन्तु अपने कलाकारों को उस प्रकार से फीस भी नही दी जाती है दूसरी तरफ बाहरी कलाकारों के होटल खर्चा से लेकर सेवापानी मे पूरा जोर लगा दिया जाता है परंतु अपने कलाकारों को पूछा तक नही जाता।

नेताओं को भी इससे सबक सीखना चाहिए कि आखिर हो क्या रहा है। सरकार बनाने में प्रदेश के लोग और कलाकार अहम रोल निभाते हैं, बाहरी नहीं। ऐसे में यही कह सकते हैं कि नहीं सुधरे तो अफसरों का कुछ जाएगा नहीं और नेताओं का कुछ बचेगा नहीं।

दूसरी ओर प्रदेश के अन्य छोटे कलाकारों के ऑडिशन के समय भी धांधली के आरोप लगे हैं HPU शिमला संगीत विभाग के कलाकार जब ऑडिशन देने गए तो उन्हें ये कहकर बाहर कर दिया कि सुर ताल के अलाबा ओर भी बहुत कुछ देखा जाता है। खैर फिलवक्त शिवरात्रि पूरी हो चुकी है पर अधिकारियों पर नकेल लगनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसा न हो।

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