नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने पीएचडी प्रोग्राम में एडमिशन संबंधी नियमों में संशोधन कर दिया है. दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक, मौजूदा राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) के माध्यम से नामांकन की योग्यता हासिल करने के अलावा एक नई प्रवेश परीक्षा के जरिये भी पीएचडी में एडमिशन लिया जा सकेगा. अधिकारियों का कहना है कि इसका उद्देश्य देशभर में पीएचडी कार्यक्रमों को ‘फिर से बढ़ावा’ देना है।
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की तरफ से आयोजित की जाने वाली नेट/जेआरएफ (जूनियर रिसर्च फेलोशिप) परीक्षा के माध्यम से ही भारतीय यूनिवर्सिटी में पीएचडी के लिए नामांकन के लिए छात्रों की योग्यता निर्धारित होती है. लेकिन अब, पीएचडी प्रोग्राम के लिए शैक्षणिक वर्ष की 60 प्रतिशत सीटें नेट/जेआरएफ के जरिये योग्यता हासिल करने वाले छात्रों से भरी जाएंगी. शेष 40 फीसदी सीटें यूनिवर्सिटी/कॉमन एडमिशन टेस्ट के माध्यम से भरी जाएंगी।
यूजीसी अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने दिप्रिंट से बातचीत में इसकी पुष्टि की कि संशोधित नियमों के मसौदे—’यूजीसी (पीएचडी डिग्री प्रदान करने के लिए न्यूनतम मानक और प्रक्रिया) विनियम, 2022’—को 10 मार्च को आयोजित आयोग की एक बैठक में मंजूरी दे दी गई थी. दिप्रिंट ने इस दस्तावेज को हासिल भी किया है।
नियमों को जल्द ही यूजीसी की आधिकारिक वेबसाइट पर डाल दिया जाएगा और सार्वजनिक कर दिया जाएगा. पब्लिक फीडबैक के आधार पर आयोग नियमों को अंतिम रूप देगा और इसे केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को मंजूरी के लिए भेजेगा।
नेट/जेआरएफ के माध्यम से योग्यता हासिल करने वालों के लिए चयन इंटरव्यू/वाइवा-वोचे पर आधारित होगा।वहीं, प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले उम्मीदवारों के लिए चयन का मूल्यांकन 70 (लिखित परीक्षा) और 30 (इंटरव्यू) के अनुपात में होगा।
पॉलिसी डॉक्यूमेंट में कहा गया है. ‘दोनों के लिए मेरिट सूची अलग से प्रकाशित की जाएगी. किसी भी श्रेणी में खाली सीटों के मामले में दूसरी श्रेणी के उम्मीदवारों को रिक्त जगह भरने की अनुमति दी जा सकती है.’