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सवर्ण आयोग की मांग के पीछे 50 से 60 लाख का घोटाले को लेकर सोशल मीडिया पर सवर्ण लोगों द्वारा पूछे जा रहे सवाल

हिमाचल में स्वर्ण आयोग की मांग से प्रदेश में उच्च वर्ग के लोगों में एक आस जगी थी कि प्रदेश में स्वर्ण या सामान्य आयोग बनेगा और उनको सरकार की ओर से दूसरों वर्ग के जैसे सुविधाएं मिलेगी। सरकार इस आयोग के माध्यम से लोगों की समस्याएं सुनेगी और जनरल वर्ग के पिछड़े तथा गरीब लोगों की समस्याओं का निदान होगा। भले ही जय राम ठाकुर ने सामान्य वर्ग आयोग बनाने की घोषणा कर रखी है लेकिन तीन महीने बीत जाने के उपरांत भी सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। जिससे साफ जाहिर होता है कि सरकार प्रदेश के सबसे बड़े वर्ग को लॉलीपॉप देने के सिवा कुछ नही कर रही।अब इस मामले में स्वर्ण समाज दो धड़ों में बांटा हुआ नजर आ रहा है। जहां रूमित सिंह ठाकुर ने 16 मार्च को शिमला में धरने का आवाहन किया है। वही जितेंद्र राजपूत ने इस धरने का विरोध करना शुरू कर दिया है। सोशल मीडिया से मिली जानकारी के मुताबिक मंडी के रहने वाले जितेंद्र राजपूत ने रूमित सिंह से सवाल पूछे है और वह सवाल सोशल मीडिया पर वायरल हो गए है। सोशल मीडिया पर वायरल हुई जितेंद्र राजपूत की पोस्टों के मुताबिक स्वर्ण आयोग की मांग को लेकर किए गए आंदोलन में लगभग 50 या 60 लाख का दान इक्कठा हुआ था। लेकिन धरने, शव यात्रा व रैली के दौरान पैसे का कहीं कोई प्रयोग नहीं हुआ था। इस मामले में सवाल उठाते हुए जितेंद्र राजपूत ने लिखा कि "800 KM यात्रा वाले को खिलाया लोगों ने, पिलाया लोगों ने, सुलाया लोगों ने, तो फिर 50-60 लाख गया किधर? गड़बड़ हुई है" जितेंद्र राजपूत की इन पोस्टों को शेयर करते हुए भीम आर्मी के अध्यक्ष रवि कुमार दलित ने भी यही सवाल उठाए है और लिखा है कि "आखिर सच्चाई सामने आ ही जाती है स्वर्ण समाज के लोग सवाल पूछ रहे हैं जवाब तो देना होगा कहीं ऐसा तो नहीं इस पर पर्दा डालने के लिए शिमला जाम का मन बना लिया ताकि इतना बड़ा घोटाला स्वर्ण समाज के लोगों को पता ना लगे।"जितेंद्र राजपूत ने एक अन्य पोस्ट में लिखा कि आप लोग कुछ भी नही उखाड़ पाओगे, अल्पज्ञानी स्वर्ण आयोग नही बना पाओगे। जितेंद्र राजपूत की इन पोस्टों पर बहुत से लोग समर्थन करते दिखे और कई लोगों के 16 मार्च को लिए जा रहे धरने का विरोध किया है। उधर रूमित सिंह ठाकुर ने रैलियों, शव यात्रा और धरनों के दौरान इक्कठा हुए पैसों पर चुपी साध रखी है। जोकि एक बड़ा सवालिया निशान बन कर लोगों के दिमाग में घूम रही है। उधर सोशल मीडिया पर एक अफवाह भी फैल रही है कि रूमित सिंह ठाकुर 2022 के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में उतरना चाहता है। जिसके लिए यह सारा पैसा दबा दिया गया है। अब देखना यह होगा कि यह आंदोलन क्या आगे बढ़ता है, या लोग अपने द्वारा दिए दान का हिसाब मांगते है। सबसे बड़ा सवाल यह रहेगा कि आंदोलन के दौरान कुल कितना पैसा इक्कठा हुआ और वह पैसा खर्च कहां किया गया।

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