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हिमाचल का मामला ! जवान बेटियों के साथ गौशाला में जिंदगी काट रही है सरस्वती, मदद की दरकार

दो जवान बेटियों के साथ बीते 13 वर्षों एक महीला गौशाला में जिंदगी काट रही है. गौशाला में जिंदगी काटने वाली महिला का नाम सरस्वती देवी है जिसकी उम्र 47 साल है. सरस्वती देवी कोटली उपमंडल के तहत आने वाली ग्राम पंचायत खलाणू के खलाणू गांव में रहती है. सरस्वती का मायका पनारसा में है और यहां पर उसकी शादी राजकुमार के साथ हुई थी. बीते 17 वर्षों से दोनों पति-पत्नी अलग रह रहे हैं. सरस्वती की दो बेटियां हैं जिनमें बड़ी बेटी 22 वर्षीय निवेदिता है और छोटी बेटी 19 वर्षीय सुमन है. निवेदिता एमए की पढ़ाई कर रही है जबकि सुमन ग्रेजुएशन कर रही है।

खुद सरस्वती खलाणू स्कूल में मिड-डे-मिल पकाकर अपना और अपनी दोनों बेटियों का पालन पोषण कर रही है. पहले सरस्वती अपने पति के पुराने घर में रहती थी लेकिन बाद में वह ढह गया. इसके बाद गौशाला में शरण लेनी पड़ी. 13 वर्षों से इसी गौशाला में जीवन यापन हो रहा है. न तो इस परिवार के पास शौचालय है और न ही नहाने के लिए बाथरूम. घर के बाहर पर्दों के सहारे से नहाने के लिए एक जगह बनाई है. तीनों मां-बेटियां यहीं पर नहाती हैं।

गौशाला में ही चूल्हा लगाया है और यहीं पर ही रहने के लिए बिस्तर भी लगा है. सरस्वती की बड़ी बेटी निवेदिता ने बताया कि उनकी मां बड़ी मुश्किल से घर को चला पा रही है. परिवार बीपीएल में भी शामिल है लेकिन प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री आवास योजना का कोई लाभ नहीं मिल रहा है. इस सदंर्भ में पंचायत को भी आवेदन दिया है और डीसी मंडी से भी मदद की गुहार लगाई है. इन्होंने दानी सज्जनों से भी मदद की गुहार लगाई है।

इस बारे में जब खंड विकास अधिकारी सदर प्रियंका वर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि आवास योजना का लाभ देने के लिए प्रार्थी के नाम पर जमीन होना अनिवार्य है. उक्त महिला या इसकी बेटियों के नाम पर जमीन नहीं है जिस कारण आवास योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. जमीन महिला के पति के नाम पर है. यदि महिला इस संदर्भ में अपने पति से जमीन का हल्फनामा उपलब्ध करवा देती है तो विभाग इस पर आगामी कार्रवाई अम्ल में ला सकता है. क्योंकि कागजों में महिला और उसके पति का एक ही परिवार है।

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