आप आजकल देखते होंगे कि डिपो में लोगों की भीड़ राशन लेने से ज्यादा केवाईसी अपडेट करने के लिए लगी रहती है, लेकिन प्रदेश हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है।
माननीय हाईकोर्ट ने कहा है कि डिपो संचालक पहले की तरह राशन वितरण का कार्य करते रहें। अगर विभागीय अधिकारी डिपो संचालकों पर केवाईसी अपडेट करने के लिए दबाव बनाता है तो ये कोर्ट के आदेशों के उल्लंघन होगी।
विभाग के मुताबिक ई-केवाईसी करवाना प्रत्येक राशन कार्ड धारक को आवश्यक होगा। परिवार के प्रत्येक सदस्य को उचित मूल्य की दुकान पर जाना होगा। या उचित मूल्य दुकानदार गांवों में जाकर भी यह प्रक्रिया पूरी कर सकता है।
सरकार द्वारा प्रत्येक सफल ई-केवाईसी के लिए उचित मूल्य की दुकान के संचालक को चार रुपये प्रति प्रविष्टि पारिश्रमिक के रूप में दिया जा रहा है। इस प्रक्रिया के लिए उपभोक्ता के पास राशन कार्ड संख्या या आधार संख्या होना अनिवार्य है।
प्रदेश डिपो संचालक समिति की तरफ से याचिका पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सबीना और सत्य वैद्य ने यह आदेश दिए हैं। कहा है कि सरकार डिपो होल्डर को कमीशन एजेंट कहती रही है। विभाग ने इस काम के लिए सिम पोज मशीनों में डाली है। लेकिन सिम के लंबे समय से बंद होने की वजह से मशीनों में कनेक्टिविटी नहीं है। बिना कनेक्टिविटी के उपभोक्ता की केवाईसी वेरीफिकेशन नहीं हो सकती।
हाईकोर्ट ने कहा कि डिपो धारक अपनी जेब से पैसा खर्च कर अपनी सिमों के माध्यम से काम चला रहे हैं। साथ ही, समिति की ओर से विभाग के केवाईसी करवाने के आदेशों पर स्टे लगाने की गुहार लगाई गई है। मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी।
गौर रहे कि केंद्र सरकार ने साल 2019 में सभी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लाभार्थियों की ई-केवाईसी करने के निर्देश दिए थे। कोविड-19 के कारण ये काम नहीं हो पाया। अब स्थिति सामान्य होने के कारण शत-प्रतिशत लाभार्थियों की ई-केवाईसी करने के निर्देश दिए हैं।
हिमाचल सरकार के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा उपभोक्ताओं को नए सिरे से अपना केवाईसी अपडेट की समय सीमा 15 जून 2022 तक के लिए रखी गई है।