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हाई कोर्ट का कड़ा संज्ञान! चंबा के भलेई में कॉलेज का भवन नहीं बनने पर मुख्य सचिव से जवाब तलब

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने भलेई कॉलेज का भवन न बनवाने पर कड़ा संज्ञान लिया है। मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने मुख्य सचिव और प्रधान सचिव शिक्षा से तीन हफ्ते में जवाब तलब किया है। अदालत ने अमर उजाला में प्रकाशित खबर के आधार पर जनहित में याचिका दर्ज की है। चंबा जिले के भलेई में वर्ष 2017 में कांग्रेस सरकार ने कॉलेज खोला था। उस दौरान प्राइमरी स्कूल की इमारत में कक्षाएं शुरू की गईं थी। वर्ष 2021 तक इसी भवन में पढ़ाई चलती रही। प्राइमरी स्कूल की इमारत जर्जर होने के बाद स्थानीय पंचायत से एक साल के लिए दो कमरे किराये पर लिए गए। बारिश के कारण कमरे भी खस्ताहाल हो गए हैं। जहां विद्यार्थियों को बैठाना बिल्कुल सुरक्षित नहीं है। कॉलेज का सामान भी इन खस्ताहाल कमरों में रखा गया है। हालांकि, इस बारे में प्रशासन को कई बार अवगत करवाया जा चुका है।

अभी तक समस्या का समाधान नहीं हो सका है। बताया जा रहा है कि नजदीक में ही एक पर्यटन विभाग का भवन है। पांच साल बीत जाने के बावजूद भी कॉलेज का अपना भवन नहीं है। मौजूदा समय में कक्षाएं घास के खेत में चल रही हैं। इस खेत में दो से तीन फीट घास उग आई है। बरसात के मौसम में सांप जैसे जीवों के खतरे के बीच कक्षाएं चल रही हैं। इस समस्या को अमर उजाला ने प्रकाशित किया था। प्रकाशित किया गया कि कॉलेज भवन के लिए प्रशासन ने कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए हैं। कॉलेज प्राचार्य डॉ. कुलदीप शर्मा ने पुष्टि की थी कि कॉलेज भवन न होने के कारण परेशानी हो रही है। इसके बारे में प्रशासन को भी अवगत करवा दिया गया है। मामले पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव और प्रधान सचिव शिक्षा को प्रतिवादी बनाया है।प्रदेश हाईकोर्ट ने करसोग में किराये पर चल रहे बीएड कॉलेज पर अतिरिक्त मुख्य सचिव से तीन हफ्ते में जवाब तलब किया है। मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने हरीश कुमार की याचिका पर संज्ञान लिया है। याचिका में  अतिरिक्त मुख्य सचिव के अलावा प्राथमिक शिक्षा के निदेशक, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग और राष्ट्रीय शिक्षा परिषद को प्रतिवादी बनाया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि करसोग में भारद्वाज शिक्षण संस्थान के नाम पर बीएड कॉलेज चला रहा है। वर्ष 2004 से इस कॉलेज को चलाने के लिए जरूरी अनापत्ति प्रदान की गई थी। उस समय यह गांव बराल में चल रहा था। वर्ष 2010 में इस कॉलेज को किराए के भवन में चलाया गया। अरोप लगाया गया है कि किराए के भवन में बीएड कॉलेज को चलाया जाना नियमों के विपरीत है। राष्ट्रीय शिक्षा परिषद ने इस बारे नियम बनाए हैं। इन नियमों की शरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। याचिकाकर्ता ने अदालत से गुहार लगाई है कि इस मामले की जांच के आदेश दिए जाएं। प्रदेश में किराए के भवन में चल रहे ऐसे सभी कॉलेज की जांच करने बारे भी जरूरी आदेश पारित किए जाए। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय को आदेश दिए जाए कि भारद्वाज शिक्षण संस्थान के लिए इस सत्र काउंसलिंग न की जाए।  राष्ट्रीय शिक्षा परिषद को आदेश दिए जाए कि इस संस्थान की मान्यता रद्द की जाए। मामले की सुनवाई तीन सप्ताह के बाद होगी।

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