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हिमाचल में छूट रहे भाजपा के पसीने, छोटे से राज्य में प्रधानमंत्री करेगे पांच रैलियां

भाजपा खुद को दुनियां की सबसे बड़ी पार्टी कहती है लेकिन इतनी बड़ी पार्टी को देश के एक छोटे से राज्य में ही पसीने छूट रहे है. यही कारण है कि पार्टी को अपनी साख बचाने के लिए प्रधानमंत्री का सहारा लेना पड़ रहा है।

68 विधानसभा वाले इस सूबे मे प्रधानमंत्री, जो कि खुद को दुनियां का नंबर वन बताने मे गुरेज नही करते, हिमाचल में पांच रैलीयां करेगे. इतनी ही रेलीयां अमितशाह और युपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की रखी गई है. भाजपा मे यह तीनो नेता सबसे बड़े है,जबकि केन्द्र के सभी मंत्री और भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री हिमाचल में डेरा डाले हुए है।हिमाचल मे ऐसा पहली बार हो रहा है जब पुरी केन्द्र सरकार चुनाव प्रचार कर रही है. एक तरफ जहां कांग्रेस के पास केन्द्र मे कोई बड़ा नेता नही है वहीं भाजपा ने इस चुनाव को जीतने के लिए पुरा दमखम लगा रखा है।

बहराल सवाल यह उठ रहे है कि क्या हिमाचल के लोग सत्ता बदल रहे है. क्योंकि वोट हिमाचल की जनता को करना है. जो मंहगाई भ्रष्टाचार और बेरोजगारी से जूझ रही है. आज प्रदेश में 45 साल बाद सबसे ज्यादा बेरोजगारी है. 15 लाख युवा रोजगार की तलाश कर रहे है,जिसे केन्द्र और प्रदेश की जयराम सरकार देने मे नाकाम साबित हुई है.मंहगाई ने लोगो की कमर तोड़कर रख दी है. जहां पेट्रोल के दाम 100 रू के आसपास है वहीं सरसों तेल जो कि आम आदमी इस्तेमाल करता है के दाम तीन गुना तक बढ गए है. एक साल पहले जो सरसो तेल 70 रू लीटर था आज वही तेल 230 का लीटर है। जबकि भ्रष्टाचार जयराम सरकार के खिलाफ सबसे बड़ा मुददा है. उनके अपने ही मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष तक भ्रष्टाचार में लिप्त रहे है. जबकि कर्मचारियों की ओपीएस की मांग अधूरी पड़ी है। हालांकि अब भाजपा इसका समाधान निकालने की बाते कर रही है लेकिन पांच साल सत्ता में रहने के बाद उसका समाधान न कर पाने के चलते,चुनाव वक्त ही ऐसी बात करने पर कर्मचारी भरोसा नही कर रहे है. ऐसे मे भाजपा का मिशन रिपीट आसान नही लग रहा है. भाजपा ने अभी तक जो भी सर्वे करवाए है उसमे उनकी सरकार जाती दिख रही है। चूंकि हिमाचल भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का होम स्टेट है जबकि प्रधानमंत्री खुद को यहां का बेटा बताते है ऐसे मे उनके लिए यह छोटा सा राज्य नाक का सवाल बन गया है. तभी भाजपा इस बार यहां पर हर नुक्सा अपना रही है लेकिन उनकी बात बनती नही दिख रही है।

अगर हिमाचल मे भाजपा हार जाती है,जैसा कि सर्वे बता रहे है,फिर प्रधानमंत्री जेपी नड्डा और अमितशाह सहित तमाम नेताओं को सोचने पर विवश होना पड़ेगा कि नेता नही जनता बड़ी होती है. अभी भाजपा कहती है कि हम मिशन रिपीट करेगे और रिवाज बदल देगे जैसा उतराखंड और युपी में किया है. लेकिन वह यह भूल जाते है कि हिमाचल कि स्थिति देश के अन्य राज्यों से अलग है.यहां का वोटर बहुत शिक्षित है जिसे आसानी से बरगलाया नही जा सकता.वह हिन्दू मुसलमान की बजाय असली मुददो की बात कर रहा है. देश का सबसे बड़ा मुददा बेरोजगारी है,जिसका समाधान करने में मोदी सरकार बिफल रही है।

हिमाचल देश का दुसरा राज्य है जहां पर सबसे ज्यादा शिक्षित लोग रहते है.यहां पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण संभव नही है चूंकि इस राज्य में 98% हिन्दू रहते है. यही बजह है कि भाजपा को दिक्कत हो रही है. भाजपा विकास की बजाय ऐसे मुददे उछालने मे माहिर है जिसमे लोगो की भावनाएं जुड़ी हो.

तभी भाजपा नेता भाषण शुरू करने से पहले भारत माता के जयकारे ओर जय श्रीराम के उद्वघोष करते है. इन दोनो नारो में पब्लिक की भावनाएं जुड़ी है. चूंकि भाजपा भली भांति जानती है कि धर्म के नाम पर लोग सबसे ज्यादा बेवकूफ बनाए जा सकते है. राम हिन्दुओं के आराध्य है ऐसे में हिन्दू वोट को अपनी तरफ खींचने के लिए जय श्रीराम का नारा दिया जाता है. नही तो पूजा में इस्तेमाल होने वाला राम नाम का उच्चारण राजनीति में क्यों हो रहा है. हिमाचल मे लोग पढे लिखे है जो भाजपा की यह क्रोनोलाजी समझते है। इसीलिए यहां के लोग बेरोजगारी, मंहगाई भ्रष्टाचार पर सरकार से सवाल पूछ रहे है,जिसका जबाब देने में उनके पसीने छूट रहे है।

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