प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर तक साइबर ठगों के निशाने पर आ गए, लेकिन सुक्खू सरकार का धर्मशाला और मंडी में खोले गए दो थानों को डिनोटिफाइ करना समझ से परे है। इस समय जहां केंद्र और राज्य बढ़ते साइबर क्राइम के मामलों को लेकर सजग हैं, वहीं प्रदेश सरकार यहां चल रहे तीन में से दो साइबर थानों को बंद कर चुकी है।उधर, प्रदेश में रोजाना दर्जनों साइबर ठगी के मामले आ रहे हैं। सुक्खू सरकार ने थाने बंद करने से पहले स्टाफ और भवन न होने का तर्क दिया था। दूसरी ओर, साइबर थाने बंद होने पर कांगड़ा के विशाल, राजकुमार, धर्मशाला के रोहित और मंडी के अशोक ठाकुर, पंकज, प्रशांत शर्मा और हिमांशु शर्मा ने कहा कि साइबर थाने बंद नहीं होने चाहिए। आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने और लोगों की सुविधा के लिए पूर्व सरकार ने दो साइबर थाने खोले थे, जिससे ठगी का शिकार लोगों को शिमला न आना पड़े। थाने बंद होने के बाद स्टाफ को इधर- उधर शिफ्ट कर दिया गया है। धर्मशाला में यह थाना निजी आवास में चल रहा था। यहां 6-7 अधिकारी-कर्मचारी तैनात थे। थाने का सामान अभी वहीं है, लेकिन शिकायतें दर्ज नहीं की जा रही हैं। मंडी में भी पांच से छह से सात पुलिस अधिकारी और कर्मचारी किए गए थे। यह थाना भी निजी भवन में चल रहा था। दोनों जगह भवन बनाने के लिए पूर्व सरकार ने 50-50 लाख रुपये स्वीकृत किए थे। अब शातिर हिमाचल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, पूर्व मुख्यमंत्री और मंत्री सहित अन्य अधिकारियों के नाम से फेसबुक या इंस्टाग्राम पर फर्जी अकाउंट बनाकर लोगों से पैसे मांग रहे हैं।
2017 में 1,723 लोग ठगी का शिकार हुए थे। 2022 में आंकड़ा 9, 110 हो गया है। 2022 में हेल्पलाइन नंबर 1930 पर 116 शिकायतें दर्ज हुई हैं। मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान ने ने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने साइबर थानों समेत अन्य कई संस्थान खोल दिए। यह संस्थान वहां खोले गए, जहां जरूरत नहीं थी। पूर्व सरकार के अंतिम छह महीने में खोले गए इन संस्थानों को डिनोटिफाई किया गया है। लोगों की आवश्यकता के अनुसार जरूरत पड़ने पर इन्हें दोबारा शुरू किया जाएगा।