बिलकिस बानो सामूहिक दुष्कर्म मामले और 2002 के गुजरात दंगों के दौरान उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के 11 दोषियों की सजा में छूट को चुनौती देने संबंधी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने 11 दोषियों को समय से पहले रिहा करने के आदेश को निरस्त कर दिया है। 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
सोमवार को मामले में न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की विशेष पीठ फैसला सुनाया। याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सभी दोषियों की सजा में मिली छूट को रद्द कर दिया। गुजरात सरकार ने पिछले साल मामले में 11 दोषियों को रिहा किया था। अब कोर्ट के फैसले के बाद सभी 11 दोषियों को वापस जेल जाना होगा। पीठ ने गुजरात सरकार के फैसले को पलटते हुए कहा कि गुजरात राज्य द्वारा शक्ति का प्रयोग सत्ता पर कब्जा और सत्ता के दुरुपयोग का एक उदाहरण है।
बिलकिस बानो उस वक्त 21 वर्ष की थीं और पांच महीने की गर्भवती थीं, जब साम्प्रदायिक दंगों के दौरान उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। उसकी तीन वर्षीय बेटी परिवार के उन सात सदस्यों में शामिल थी, जिनकी दंगों के दौरान हत्या कर दी गई थी।
पिछले साल 15 अगस्त को सभी 11 दोषियों को सजा में छूट दिए जाने और रिहा किए जाने के तुरंत बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनेताओं ने शीर्ष अदालत में कई याचिकाएं दायर की थीं। बिलकिस ने नवंबर में शीर्ष अदालत का रुख किया था।