शिमला के समहरहिल की शिव बाबड़ी मंदिर में जो पिछले साल त्रासदी हुई थी जिसमें 20 लोग जान गवां गए थे उस हादसे का सर्वे हुआ है । अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार शिव बावड़ी मंदिर में हुई तबाही का कारण वादल फटना नहीं था। वैज्ञानिकों ने इसका कारण समरहिल में पहाड़ी के नीचे जमा पानी को बताया है। पहाड़ी के नीचे इकट्ठा यह वही पानी था जो शिव वावड़ी तक आता था। घटना के दिन जोरदार बारिश से पानी का दबाव बढ़ने से भूस्खलन हुआ। पिछले साल 14 अगस्त को शिव बावड़ी मंदिर में भूस्खलन में 20 लोगों की मौत हुई थी। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (यूआईटी) समरहिल और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) रुड़की के वैज्ञानिकों ने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के उपग्रह सेंटिनल-एक से इसकी जांच करवाई। इसमें त्रासदी का मुख्य कारण बादल फटना नहीं बताया है। घटना जारी बताया है कि समरहिल में पहाड़ के नीचे भूजल का संग्रह था, जिससे शिव वावड़ी में पानी आता था। लगातार बारिश से पानी बढ़ा, जिससे पहाड़ी में पानी से दबाव बढ़ गया, जिसे चट्टानें नहीं झेल पाईं और 14 अगस्त सुवह सात बजे समरहिल-बालुगंज के ऊपरी हिस्से में भूस्खलन हुआ। 13 अगस्त को समरहिल में 60 और 14 अगस्त को 160 मिलीमीटर बारिश हुई थी। इतनी ज्यादा वारिश होने से शिव बावड़ी में पानी के साथ मलबा 34 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से मंदिर की ओर बहने लगा। मंदिर में उस वक्त 20 लोग मौजूद थे। सुबह 7:20 बजे मलबा दो सड़कों और रेलवे ट्रैक को तोड़ता हुआ मंदिर को तबाह कर आगे बढ़ा।