माननीय उच्च न्यायालय ने एक केस के फैंसले में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के गणित विभाग में लगे दो प्रोफ़ेसर अयोग्य घोषित कर दिए हैं। डॉ राजेश कुमार शर्मा बनाम हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला केस में ये अहम फैंसला सुनाया है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला में करोना काल के समय 2019-20 में पूर्व कुलपति सिकन्दर कुमार द्वारा विश्वविद्यालय में प्रोफेसर भर्तियों को करवाया गया था। उसके बाद छात्र संगठनों ने इन भर्तियों पर सवाल उठाये थे और यह आरोप लगाया था कि इन भर्तियो के अंदर काफी बड़े स्तर पर शैक्षणिक भ्रष्टाचार किया गया।
इसके बाद एसएफआई छात्र संगठन ने इन भर्तियो पर RTI मांग कर सूचना ली जिसमें SFI ने भी आरोप लगाया था कि 70% भर्ती किए गए प्रोफेसर गलत भरे गए हैं। आपको बता दें कि भर्तियों को लेकर कुछ योग्य उम्मीदवार हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में केस करते है और उसके बाद हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय इस पर संज्ञान लेते हुए हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के गणित विभाग में सह-प्राध्यापक जिनका साक्षात्कार कोरोना काल के दौरान हुए थे जिसमें भर्तियों के नियमों को ताक में रख कर पूर्व कुलपति सिकंदर कुमार ने अयोग्य उम्मीदवारों को भरने का काम किया और उच्च न्यायालय द्वारा विश्वविद्यालय के गणित विभाग में करवाई गयी इस भर्ती को गलत घोषित किया है।
संगठन इन भर्तियों का लगातार विरोध कर रहे थे और यह आरोप लगा रहे थे कि इसी तरह विश्वविद्यालय के बाकी विभागो में अयोग्य लोगो को भरने का काम किया गया और एक ही विचारधारा के अयोग्य प्रोफेसर को भरने का काम प्रोफेसर सिकंदर कुमार द्वारा किया। जिसके चलते इस प्रोफेसर भर्ती में योग्य उम्मीदवारों को गलत तरीके से बाहर किया गया।
आपको बता दें कि 2019 से 2022 के बीच प्रदेश विश्वविद्यालय में ये भर्तियां हुई थीं और कई उम्मीदवारों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था जिसके चलते हाई कोर्ट ने दो प्रोफ़ेसर अयोग्य घोषित कर दिए हैं।