Rohit Kumar( Shimla)
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला का एक नया मामला सामने आया है जिसमें हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। दरअसल आदित्य ठाकुर नाम के याचिकाकर्ता ने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के खिलाफ केस दायर किया जिसमें हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय को कोर्ट ने खरी खोटी सुनाते हुए फैसला सुनाया है।
आपको बता दें कि आदित्य ठाकुर नाम का छात्र जो कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला से संबंधित किसी कॉलेज में बीएससी का छात्र था तथा बीएससी थर्ड ईयर के पेपर दिए थे औऱ साथ ही साथ हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला में एमएससी फिजिक्स में दाखिले के लिए एट्रेंस टेस्ट के बाद एमएससी फिज़िक्स में अड्मिशन हो रही थी लेकिन आदित्या ठाकुर एक पेपर में फेल होने की वजह से एमएससी फिजिक्स में दाखिले से रह गया जिसकी वजह से उसने कई बार हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के प्रशासन के सामने अर्जी लगाई कि जब तक मेरा पुनर्मूल्यांकन का रिजल्ट नहीं आता है तब तक मेरी एडमिशन होल्ड पर रखी जाए क्योंकि आदित्य ठाकुर को शक था कि उसका पेपर सही ढंग से मूल्यांकित नहीं हुआ है लेकिन विश्वविद्यालय नहीं माना तथा उसे एमएससी फिजिक्स के दाखिले से वंचित कर दिया। साथ ही साथ छात्र ने पुनर्मूल्यांकन का फॉर्म भरा तथा उसका पेपर दोबारा मूल्यांकन हुआ। इसी के साथ जब हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला में छात्र के उस पेपर का जब रिजल्ट आया जिसमें वह फेल था उसके पुनर्मूल्यांकन रिजल्ट में आदित्य ठाकुर पास हो गया। इसी वजह से आदित्य ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तथा गुहार लगाई कि विश्वविद्यालय के गलत मूल्यांकन की वजह से मेरी एडमिशन की रद्द हुई है इसमें मेरी कोई गलती नहीं है क्योंकि मुझे मेरे पेपर में फेल कर दिया गया था हालांकि मेरे पेपर के पुनर्मूल्यांकन में मैं पास हो गया हूँ। छात्र के अनुसार यह पेपर चेकिंग का मामला है क्योंकि मेरा पेपर सही ढंग से चेक नहीं हुआ था जिस वजह से में फेल हुआ और मैं एमएससी फिजिक्स में दाखिले से रह गया हूं।
जब हमारी बात इस केस की पैरवी कर रहे हाई कोर्ट अधिवक्ता से हुई तो उन्होंने कहा कि कि यह हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का एक बहुत बड़ा घोटाला है जो पहले छात्रों को फेल करता है और फिर पुनर्मूल्यांकन के नाम की फीस लेकर उन्हें पास करता है क्योंकि सही ढंग से पेपर चेक नहीं हुआ था। इसी के साथ अधिवक्ता विश्व भूषण ने कहा कि पहले छात्र फेल होता है लेकिन उसके बाद जब दोबारा से उसका मूल्यांकन किया जाता है तो वह पास हो जाता है तो यह बड़ा सवाल कहीं ना कहीं खड़ा उन लोगों पर होता है जो पहली बार पेपर मूल्यांकन करते हैं सवाल उन अध्यापकों पर है कि यह कैसे पेपर चेक करते हैं जिसमें बच्चा पहले फेल हो जाता है लेकिन पुनर्मूल्यांकन में पास हो जाता है।
आपको बता दे कि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने इस केस में छात्र की रिप्रेजेंटेशन पर 10 दिनों के भीतर फैंसला लेने का फैंसला सुनाया है।
वहीं जब छात्र संगठन SFI के अध्यक्ष संतोष से बात हुई तो उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला का यह सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा है जिसमें पहले छात्रों को फेल करते हैं लेकिन मूल्यांकन के दौरान पुनर्मूल्यांकन की फीस लेकर बाद में उन्हें पास कर दिया जाता है तो यह कहीं ना कहीं पहली बार जो मूल्यांकन व्यवस्था है उसपर सबसे बड़ा सवाल खड़ा करता है तथा दूसरी तरफ परीक्षा नियंत्रक की कार्यप्रणाली पर सबसे बड़ा सवाल खड़ा करता है क्योंकि जब से कंट्रोलर श्यामलाल कौशल जी इस कुर्सी पर बैठे हैं तब से लेकर अब तक कई मामले ऐसे सामने आ चुके हैं।