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बाहरी हिमालय क्षेत्र में जैन धर्म पर और अधिक शोध की आवश्यकता : डॉ. अंजली वर्मा

31 अगस्त 2024 को जायत्री ( चुराह क्षेत्र )और अभिषेक (भरमौर क्षेत्र) ने पहले राष्ट्रीय वार्षिक शोध सेमिनार में हिस्सा लिया, जो दक्कन कॉलेज पुणे में संपन्न हुआ । इस सेमिनार में केवल आठ शोध पत्र चयनित हुए। जायत्री और अभिषेक के द्वारा प्रस्तुत शोध का शीर्षक था , " Jainism in outer Himalya: a case study of Jaina temples of district Kangra" . इस शोध पत्र के आधार पर हिमाचल प्रदेश विश्वविधालय के इतिहास विभाग ( जायत्री ) तथा पुरातत्व विभाग ( अभिषेक ) , से दक्कन कॉलेज पुणे के किसी भी सेमिनार में शोध पत्र प्रस्तुत करने वाले यह पहले परास्नातक विद्यार्थी बने। यह शोध डॉक्टर अंजली वर्मा सहायक आचार्य हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के निर्देशन में किया गया। इस सेमिनार का महत्व इसी बात से समझा जा सकता है , कि श्रोताओं से ही 500 रुपए प्रति श्रोता केवल सेमिनार में शोध पत्र सुनने के लिया गया शुल्क है । यह शोध पत्र अभिलेख , साहित्यिक सामग्री  तथा क्षेत्रीय अनुसंधान पर आधारित है । जिसमें तेहरवीं से पंद्रवीं शताब्दी के बीच कांगड़ा में जैन धर्म को उपस्थिति पर कार्य किया गया है । यह शोध कई मायनों में जैन धर्म के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डालता है। इस शोध पत्र को पूरा करने में कांगड़ा के वर्तमान राजा ऐश्वर्य देव चन्द कटोच का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। यह शोधपत्र श्रोताओं तथा पैनल द्वारा अत्यंत सराहया गया।

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