Rupansh Rana
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कथित सहयोगी प्रेम प्रकाश को जमानत देते हुए कहा कि जमानत नियम है और जेल अपवाद है। कोर्ट ने कहा कि यह सिद्धांत धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत आने वाले मामलों पर भी लागू होता है। आपको बता दें कि हाई कोर्ट ने प्रेम प्रकाश को जमानत देने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान मनीष सिसोदिया को दी गई जमानत का भी जिक्र किया। न्यायमूर्ति बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि मनीष सिसोदिया के फैसले पर भरोसा करते हुए हमने कहा है कि पीएमएलए में भी जमानत एक नियम है और जेल अपवाद है।
व्यक्ति की स्वतंत्रता हमेशा नियम होती है और कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया द्वारा वंचना अपवाद होती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीएमएलए के तहत नामजद आरोपी द्वारा जांच अधिकारी के समक्ष दिए गए इकबालिया बयान आमतौर पर सबूत के तौर पर स्वीकार्य नहीं होंगे। इसने कहा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 25 के तहत इस तरह के बयानों पर रोक लागू होगी। प्रेम प्रकाश को जमानत देते समय सुप्रीम कोर्ट ने उनकी लंबी कैद और बड़ी संख्या में गवाहों के कारण मुकदमे में हुई देरी को ध्यान में रखा। पीठ ने यह भी माना कि प्रकाश प्रथम दृष्टया अपराध के दोषी नहीं थे और उनके द्वारा साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने की संभावना नहीं थी। इसलिए अदालत ने पांच लाख रुपए का जमानत बांड पर उन्हें जमानत दे दी।